
देहरादून, 10 सितंबर (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील राज्य है। मानसून में राज्य को अतिवृष्टि के कारण भूस्खलन, बाढ और जल भराव की गंभीर समस्याओं से जूझना पड़ता है। उन्होंने कहा कि भूस्खलन से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों को मिलकर पूर्वानुमान प्रणाली को और अधिक विकसित करने की दिशा कार्य करना होगा।
मुख्यमंत्री धामी ने राज्य में आपदा से हुए नुकसान का जायजा लेने आई केंद्र सरकार की अंतर-मंत्रालयी टीम से मुलाकात की। मुख्यमंत्री केंद्रीय टीम सेआपदा प्रबंधन नी फीडबैक लिया। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि इस वर्ष अत्यधिक वर्षा के कारण राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में काफी नुकसान हुआ है। जनहानि के साथ ही परिसंपत्तियों को भी अत्यधिक क्षति पहुंची है। उन्होंने कहा कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में बादल फटने व भूस्खलन की घटनाओं से जमीन का स्थाई नुकसान होता है, ऐसी जगहों को दोबारा खेती-बाड़ी या निर्माण कार्यों के लिए प्रयुक्त करना संभव नहीं हो पाता है। इसके लिए प्रभावी कार्ययोजना पर भी उन्होंने बल दिया।
भारत सरकार की अंतर मंत्रालयी टीम के सदस्यों ने उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग, पौड़ी गढवाल, चमोली, बागेश्वर एवं नैनीताल जिले के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर आपदा से हुए नुकसान का जायजा लेने के बाद बुधवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री से भेंट की। गृह मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त सचिव आर. प्रसन्ना के नेतृत्व में आई इस टीम में अनु सचिव शेर बहादुर, अधीक्षण अभियंता सुधीर कुमार, उप निदेशक विकास सचान, मुख्य अभियंता पंकज सिंह, निदेशक डॉ. वीरेन्द्र सिंह शामिल थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतर मंत्रालयी टीम ने आपदा प्रभावितों से बातचीत के दौरान मिले फीडबैक का उल्लेख करते हुए प्रभावित क्षेत्रों में संचालित राहत कार्यों को सराहनीय बताया। आपदा प्रभावितों के लिए राहत शिविरों में रहने व भोजन की समुचित व्यवस्था, मौके पर ही चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने व अन्य मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था को भी केन्द्रीय टीम ने बेहतर बताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से आपदा के दौरान राज्य में सभी गर्भवतियों का संपूर्ण डाटा जिला प्रशासन के पास उपलब्ध होने एवं उनके स्वास्थ्य व सुरक्षित प्रसव की व्यवस्था के लिए निरंतर संपर्क रखने की पहल की भी केन्द्रीय टीम ने सराहना की।
शिष्टाचार भेंट के दौरान टीम के सदस्यों ने कहा कि इस तरह की महत्वपूर्ण पहल को अन्य राज्यों में भी अपनाने के लिए अपना सुझाव प्रस्तुत करेगी। केन्द्रीय टीम ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में भूस्खलन व बाढ़ से नदियों में अत्यधिक मात्रा में सिल्ट भर जाने के कारण जल स्तर ऊपर उठने से भविष्य में नुकसान की संभावना को भी भ्रमण के दौरान उनके संज्ञान में लाया गया है।
इस अवसर पर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, अपर मुख्य सचिव आरके सुधांशु, आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव विनोद कुमार सुमन, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी आनन्द स्वरूप उपस्थित थे।
(Udaipur Kiran) / विनोद पोखरियाल
