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राजस्थान विधानसभा में धर्मांतरण प्रतिषेध विधेयक 2025 पारित, विहिप ने किया स्वागत

विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय संगठन महामंत्री मिलिंद

जोधपुर, 09 सितंबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को राजस्थान विधिविरुद्ध धर्म-संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक, 2025 पारित किया गया। विश्व हिंदू परिषद ने विधेयक का स्वागत करते हुए इसे समाज की सुरक्षा और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया।

विहिप के केंद्रीय संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा कि इस विधेयक में धर्मांतरण रोकने के लिए कठोर प्रावधान किए गए हैं। यह कानून जनभावनाओं के अनुरूप है और इससे जबरन या गुप्त रूप से होने वाले धर्मांतरण पर प्रभावी रोक लगेगी। उन्होंने कहा कि देशभर में बढ़ते धर्मांतरण और लव जिहाद की घटनाओं को देखते हुए ऐसे कानून की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि वर्ष 2023 में गृह मंत्रालय ने लोकसभा में जो आंकड़े प्रस्तुत किए थे, उनमें गुमशुदा महिलाओं के अनेक मामलों का संबंध धर्मांतरण से जोड़ा गया था। ऐसे में यह कानून महिलाओं की सुरक्षा और समाज की स्थिरता सुनिश्चित करने में सहायक होगा।

पारित विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि जबरन, लालच या धोखे से कराए गए धर्मांतरण पर सात से चौदह वर्ष तक की सजा और पाँच लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा दिव्यांग व्यक्तियों के धर्मांतरण पर दस से बीस वर्ष तक का कारावास और दस लाख रुपये तक का दंड निर्धारित किया गया है। सामूहिक धर्मांतरण की स्थिति में दोषी को बीस वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा और न्यूनतम पच्चीस लाख रुपये का जुर्माना भुगतना होगा। इसी प्रकार, विदेशी फंडिंग से धर्मांतरण कराने वालों को दस से बीस वर्ष तक की कैद और बीस लाख रुपये तक का दंड दिया जा सकेगा, जबकि बार-बार अपराध करने वालों को आजीवन कारावास और पचास लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

विवाह को धर्मांतरण का साधन बनाने की स्थिति में वह विवाह शून्य घोषित किया जाएगा। अवैध धर्मांतरण कराने वाली संस्थाओं की संपत्ति जब्त करने और आवश्यकता पड़ने पर ध्वस्त करने का प्रावधान भी विधेयक में शामिल है। सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती घोषित किए गए हैं। साथ ही धर्म परिवर्तन से पूर्व संबंधित व्यक्ति को नब्बे दिन पूर्व जिला कलेक्टर अथवा अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को सूचना देना अनिवार्य होगा तथा धर्माचार्यों को भी दो माह पूर्व नोटिस देना होगा। हालांकि मूल पैतृक धर्म में वापसी को धर्मांतरण नहीं माना जाएगा।

परांडे ने स्पष्ट किया कि यह विश्व हिंदू परिषद की दीर्घकालिक मांग थी, जिसे राज्य सरकार ने पूरा किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और पूरी सरकार के प्रति साधुवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि यह कानून अवैध धर्मांतरण पर अंकुश लगाने और सामाजिक एकता बनाए रखने में मील का पत्थर साबित होगा। परिषद ने इस अवसर पर अवैध धर्मांतरण से संबंधित शिकायतों के लिए हेल्पलाइन नंबर 9024669328 भी जारी किया है, जिस पर आमजन आवश्यक सहयोग प्राप्त कर सकते हैं।

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(Udaipur Kiran)

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