
– कोर्ट ने धारा 67 की कार्यवाही करने का दिया निर्देश – गलत रिपोर्ट देने वाले लेखपाल व राजस्व निरीक्षक पर कार्रवाई रिपोर्ट तलब
प्रयागराज, 09 सितम्बर (Udaipur Kiran) । तालाब की भूमि पर अतिक्रमण कर बने घर के ध्वस्तीकरण के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय आया याची खुद अपने जाल में उलझ कर रह गया है।
याची ने विपक्षी द्वारा तालाब भूमि पर अतिक्रमण की शिकायत में जनहित याचिका दायर की। कोर्ट के आदेश पर हुई जांच में याची का ही घर तालाब की भूमि पर बना पाया गया तो कोर्ट ने याची के खिलाफ राजस्व संहिता की धारा 67 की कार्यवाही करने का निर्देश दिया। और विपक्षी के खिलाफ अतिक्रमण की झूठी रिपोर्ट देने वाले लेखपाल व राजस्व निरीक्षक के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है।
प्रयागराज के हंडिया निवासी ओमराज ने लालमणि पटेल के खिलाफ याचिका दायर की, जिसमें आरोप लगाया गया कि लालमणि का घर तालाब की भूमि पर बना है। ओमराज ने 2022 में तहसीलदार द्वारा दिए गए बेदखली आदेश का पालन कराने की मांग की थी।
लालमणि पटेल के वकील ने कोर्ट में बताया कि तहसीलदार व एसडीएम का बेदखली आदेश गलत था। जिस पर न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की एकल पीठ ने फिर से जांच के आदेश दिए। 21 अगस्त 2025 को तहसीलदार हंडिया ने हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर किया। हलफनामे में बताया गया कि जब जमीन की दोबारा पैमाइश की गई तो पता चला कि तालाब की जमीन पर लालमणि पटेल का नहीं है, बल्कि याचिकाकर्ता ओमराज का घर बना है।
कोर्ट ने अधिकारियों के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जब विपक्षी ने कोई अतिक्रमण नहीं किया था तो उसके खिलाफ बेदखली का आदेश कैसे पारित किया गया। कोर्ट ने अतिक्रमण की गलत रिपोर्ट देने वाले लेखपाल दिलीप कुमार और राजस्व निरीक्षक गया प्रसाद कुशवाहा के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट हलफनामे में मांगी है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अतिक्रमण को हटाने के लिए उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता के तहत कार्यवाही करने का भी निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 22 सितम्बर को होगी।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
