Jammu & Kashmir

कश्मीर के बागवानों की बढ़ी मुश्किलें, गहराया संकट

शोपियां, 9 सितंबर (Udaipur Kiran) । घाटी का सेब का कटोरा कहे जाने वाला दक्षिणी कश्मीर का यह जिला जो पूरे भारत में सालाना लगभग 400 मीट्रिक टन सेब का आपूर्तिकर्ता है, इस समय गहरे संकट से जूझ रहा है। बाग पक्के और रसीले सेबों से लदे हुए हैं लेकिन बागवान फसल तोड़ने से कतरा रहे हैं।

किसानों के अनुसार, अगर वे सेब तोड़ भी लें तो भी इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि उपज बाजार तक पहुंचेगी। श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाईवे 2 हफ्ते से ज्यादा समय से बंद है और वैकल्पिक मुगल रोड केवल हल्के वाहनों के लिए खुला है, जबकि भारी ट्रकों पर प्रतिबंध है। नतीजतन सेब, नाशपाती और अन्य फलों से लदे ट्रक कई दिनों तक फंसे रहते हैं और फिर उन्हें खराब हालत में शोपियां लौटने के लिए मजबूर होना पड़ता है। किसानों का कहना है कि नुकसान पहले ही करोड़ों रुपये में पहुंच चुका है।

शोपियां के बागवानों के लिए बहुत कुछ दांव पर लगा है। जिले की लगभग 90 प्रतिशत आबादी सीधे तौर पर बागवानी पर निर्भर है। सेब की यह फसल हमारी जीवन रेखा है। अगर यही स्थिति बनी रही तो हमें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा। किसानों ने प्रशासन की भी आलोचना की और उस पर राजमार्ग बहाल करने के लिए तत्काल कदम न उठाने का आरोप लगाया। उनकी मांग है कि या तो श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग को तुरंत खोला जाए या फिर राष्ट्रीय बाजारों में समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए फलों से लदे भारी ट्रकों को मुगल रोड पर चलने की अनुमति दी जाए।

(Udaipur Kiran) / रमेश गुप्ता

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