
नर्मदा उद्गम स्थल कुंड और आरंडी संगम तट पर पिंडदान व तर्पण का विशेष महत्व, पितृपक्ष पर श्रद्धालु कर रहे जल तर्पण
अनूपपुर, 9 सितंबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध माँ नर्मदा की उद्गम स्थली अमरकंटक में श्रद्धालुजन नर्मदा उद्गम कुंड और आरंडी संगम तट पर अपने पितरों की स्मृति में जल तर्पण कर रहे हैं। भाद्र पूर्णिमा से आरंभ हुआ यह पुण्यकाल अश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या तक चलता है, जिसे पितृमोक्ष अमावस्या कहा जाता है। इस दौरान श्रद्धालु जल तर्पण के साथ साथ विशेष पूजन अर्चन और अनुष्ठान भी संपन्न करते हैं। श्रद्धालु प्रात:काल स्नान के पश्चात नर्मदा तट पर पहुंचकर मंत्रोच्चार के बीच आचमन करते हैं और नर्मदा जल से अपने पितरों को तर्पण अर्पित करते हैं। पंडितों और आचार्यों के मार्गदर्शन में शास्त्रोक्त विधि से पिंडदान तर्पण ब्राह्मण भोज और अन्नदान की परंपरा निभाई जा रही है।
अमरकंटक के नर्मदा उद्गम स्थल कुंड और आरंडी संगम का वातावरण धार्मिक अनुष्ठानों से सराबोर है। घाटों पर महिलाएँ दीप प्रज्ज्वलित कर पुष्प और अक्षत अर्पित कर रही हैं। पुरुष श्रद्धालु नर्मदा की जलधारा में खड़े होकर अपने पूर्वजों के नाम तर्पण कर रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि आरंडी संगम तट पर किया गया पिंडदान और जल तर्पण गया जी के समान फल देता है
आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है
पंडित धनेश द्विवेदी (बंदे महाराज) और उमेश द्विवेदी (बंटी महाराज) का कहना है कि माँ नर्मदा के पावन तट पर तर्पण करने से पितृदेव प्रसन्न होते हैं और आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। अमरकंटक की भूमि सिद्धपीठ मानी जाती है। यहां किया गया पिंडदान और जल तर्पण अक्षय फलदायी है।
श्रद्धालुओं का कहना है कि नर्मदा तट पर जल अर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे घर परिवार में सुख समृद्धि और शांति का संचार होता है। प्रशासन ने घाटों पर साफ सफाई और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्था की है। पितृपक्ष केवल अनुष्ठानों का पर्व नहीं बल्कि कृतज्ञता का उत्सव है पूर्वजों की स्मृति में जल अर्पित करते हुए मनुष्य अपनी जड़ों से जुड़ता है और पारिवारिक मूल्यों को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाता है।
(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला
