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छत्तीसगढ़ :पुलिसकर्मियों के आवास की जर्जर स्थिति का उच्च न्यायालय ने लिया संज्ञान, हलफनामा में मांगा जवाब

बिलासपुर, 8 सितंबर (Udaipur Kiran) । छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने पुलिस कर्मियों के क्वार्टर की जर्जर स्थिति को लेकर प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट्स को संज्ञान में लिया है। इसे गंभीर मानते हुए जनहित याचिका के रूप में सुनवाई की है। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस विभू दत्त गुरु की डिवीजन बैंच में आज इसे लेकर सुनवाई हुई। जिसमें 7 सितंबर, 2025 को प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट जिसका शीर्षक बल्लियों के भरोसे, जिंदगी भगवान भरोसे और उपशीर्षकपुलिस से आवास में दो ब्लॉक 34 साल पुराने, 24 जर्जर मकान में 20 परिवार, 6 साल से नहीं बन रहे नए घरको संज्ञान में लिया गया । जो रायपुर के आमानाका स्थित पुलिस क्वार्टरों से संबंधित है।

अदालत में तथ्य सामने आया कि जहाँ 34 साल पुराने 24मकान पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं। हालत यह है कि छत तक जाने वाली सीढ़ियाँ

टूटकर गिर गई हैं। इसके अलावा, पहली मंजिल तक जाने वाली सीढ़ियाँ खंभों के सहारे टिकी हैं और लगभग 20 परिवार वहाँ भगवान भरोसे रह रहे हैं। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि इससे पहले, जब सीढ़ियाँ टूटकर गिर गई थीं, तो नगर निगम के कर्मचारी आए थे और मलबा हटाने के बाद, पुलिस क्वार्टर को जर्जर घोषित कर दिया गया था। इन जर्जर मकानों को न तो छोड़ा गया है और न ही तोड़ा गया है और यहाँ तक कि वे खाली भी नहीं हुए हैं। पुलिस क्वार्टर में दो ब्लॉक हैं, जिनमें कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल रैंक के पुलिसकर्मी रहते हैं और लगभग 6 साल से नए मकान नहीं बने हैं।

सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि जर्जर मकानों के सुधार के लिए 10 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। नए मकानों के लिए 400 करोड़ रुपये की योजना भी तैयार करके भेजी गई है और इस तथ्य के बावजूद, नए मकानों के निर्माण के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस स्थिति को लेकर प्रबंध निदेशक, पुलिस आवास निगम, सिविल लाइन, रायपुर, छत्तीसगढ़ को निर्देश दिया गया है कि इस मामले के संबंध में अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर जवाब दाखिल करें । इस मामले की सुनवाई 17 सितंबर,2025 को तय किया गया है।

(Udaipur Kiran) / Upendra Tripathi

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