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हायर पे ग्रेड को लेकर सरकार की अधिसूचना कर्मचारी विरोधी : सीटू

शिमला, 07 सितंबर (Udaipur Kiran) । श्रमिक संगठन सीटू की हिमाचल राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार की कर्मचारियों के हायर पे ग्रेड को लेकर शनिवार को जारी अधिसूचना को कर्मचारी विरोधी करार दिया है। संगठन का कहना है कि यह अधिसूचना हजारों कर्मचारियों के मौलिक अधिकारों पर सीधा हमला है और संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) तथा अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) का उल्लंघन है। सीटू ने मांग की है कि सरकार इस अधिसूचना को तुरंत निरस्त करे और 89 श्रेणियों के कर्मचारियों को पहले की तरह आर्थिक लाभ बहाल करे।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा और महासचिव प्रेम गौतम ने रविवार को एक बयान में कहा कि 6 सितम्बर 2022 को जारी जनरल पे रिवीजन के नियम 7A के तहत 3 जनवरी 2022 से पहले नियमित हुए कर्मचारियों को आर्थिक लाभ दिए गए थे। बाद में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि 3 जनवरी 2022 के बाद नियमित हुए कर्मचारियों को भी इसमें शामिल किया जाए। सीटू नेताओं का आरोप है कि सरकार की नई अधिसूचना से इन सभी आदेशों और अधिकारों की अनदेखी हुई है, जिससे हजारों कर्मचारी प्रभावित होंगे और उन्हें हर महीने 10 से 15 हजार रुपये तक का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।

सीटू नेताओं ने कहा कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत और देश की अदालतों के अनेक निर्णय यह स्पष्ट कर चुके हैं कि किसी भी कर्मचारी को पहले से मिल रहे आर्थिक लाभों में कटौती नहीं की जा सकती। उच्च न्यायालय ने भी सरकार को निर्देश दिए थे कि कर्मचारियों को समान वेतन और लाभों से वंचित नहीं किया जा सकता। सरकार का ताजा निर्णय न केवल कर्मचारी विरोधी है बल्कि न्यायालय की अवमानना भी है।

सीटू नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार ने संविदा श्रम (विनियमन एवं उन्मूलन) अधिनियम, 1970 की अवहेलना करते हुए स्थायी और बारहमासी कार्यों पर कॉन्ट्रैक्ट आधार पर नियुक्तियां कीं। अब उन्हीं कर्मचारियों को उनके न्यायसंगत आर्थिक लाभों से वंचित किया जा रहा है।

सीटू नेताओं ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) कर्मचारियों के लंबे और निर्णायक संघर्ष का परिणाम है, न कि सरकार की किसी मेहरबानी का। इसलिए सरकार को इसका श्रेय लेना बंद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ओपीएस की आड़ में कर्मचारियों के एरियर, महंगाई भत्ते और अन्य आर्थिक लाभों पर कैंची चला रही है। यदि सरकार ओपीएस को लेकर इतनी गंभीर है तो इसे बोर्ड और निगमों के कर्मचारियों पर भी लागू करे।

सीटू ने प्रदेश की सभी कर्मचारी यूनियनों से अपील की है कि वे सरकार की नवउदारवादी और कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करें।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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