
अयोध्या, 7 सितंबर (Udaipur Kiran) । संत तुलसीदास रामलीला समिति,अयोध्या धाम के तत्वाधान में आयोजित स्वामी भगवदाचार्य स्मारक सदन की ऐतिहासिक रामलीला का 20 सितंबर से शुरू हाेगी। 15 दिवसीय रामलीला का 4 अक्टूबर को श्रीराम राज्याभिषेक के साथ समापन हाेगा। बड़ा
भक्तमाल में रविवार को आयाेजित प्रेसवार्ता कर संत तुलसीदास रामलीला समिति के कार्यकारी अध्यक्ष एवं जानकीघाट बड़ास्थान महंत जन्मेजय शरण महाराज ने यह जानकारी दी।
उन्हाेंने कहा कि स्वामी भगवदाचार्य स्मारक सदन में दिव्य रामलीला का मंचन हाेता है। यह भगवान श्रीराम की लीला है, जाे उनके आदर्शों का प्रस्तुतीकरण है। एक सवाल के जवाब में जन्मेजय शरण ने कहा कि भगवान श्रीराम सबके, कण-कण, जन-जन के नायक हैं। उनकी गरिमा, मर्यादा के अनुरूप लीला हाेनी चाहिए।
रामलीला समिति के महामंत्री व संकटमोचन सेना राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत संजय दास महाराज ने कहा कि स्वामी भगवदाचार्य स्मारक सदन की रामलीला सैंकड़ों वर्ष पुरानी है। जिसका मंचन हर साल शारदीय नवरात्रि पर हाेता है। 15 दिनाें तक यह रामलीला चलती है। राम राज्याभिषेक के साथ लीला का समापन हो जाता है। यहां पर भगवान की रामलीला शास्त्राें के अनुसार और मर्यादा के अनुरूप हाेती है। यहां से पूरे देश-दुनिया काे भगवान श्रीराम की मर्यादा का संदेश जाता है, जिन्हाेंने पूरी दुनिया काे मानवता का पाठ पढ़ाया। सभी काे मर्यादित जीवन जीना सिखाया। आज सारा संसार श्रीराम का गुणगान करता है।
जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी राघवाचार्य महाराज ने कहा कि शारदीय नवरात्रि पर पूरे देश में गांव-गांव, शहर-शहर रामलीला हाेती है। रामलीला धार्मिक व आध्यात्मिक कार्य है।
रामलीला समिति के काेषाध्यक्ष और बड़ाभक्तमाल के महंत स्वामी अवधेश कुमार दास महाराज ने कहा कि स्वामी भगवदाचार्य स्मारक सदन की रामलीला बहुत ही ऐतिहासिक है। जाे सैंकड़ों वर्षों से संत-महात्माओं की ओर से चली आ रही है। इस बार खजुरी ताल मध्य प्रदेश लीला मंडल द्वारा यहां पर रामलीला का मंचन किया जायेगा। जाे पूरे देश व मध्य प्रदेश में बहुत ही प्रसिद्ध रामलीला मंडली है। रामलीला का शुभारंभ नारद माेह एवं रावण जन्म और समापन राम राज्याभिषेक से हाेगा।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि रामलीला में पात्राें पर विशेष ध्यान, अयोध्या की परंपरा व लीला की मर्यादा का पूर्ण रूप से पालन हाेना चाहिए। लेकिन फिल्मी दुनिया की रामलीला में ऐसा नहीं हाे रहा है। उसके पात्रों द्वारा अशास्त्रीय लीला का मंचन किया जा रहा है। जाे बहुत ही दुख की बात है। इसका सभी अयोध्यावासियों काे विराेध करना चाहिए। इस दाैरान श्रृंगीऋषि आश्रम के महंत हेमंत दास, महंत धनुषधारी शुक्ला, शिवम श्रीवास्तव भी माैजूद रहे।
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(Udaipur Kiran) / पवन पाण्डेय
