
अजमेर, 6 सितंबर (Udaipur Kiran) । शिक्षा नगरी के रूप में प्रसिद्ध अजमेर अब पर्यावरणीय पर्यटन की दिशा में भी एक नया कदम बढ़ाने जा रहा है। शहर के काजीपुरा, खरेखड़ी और अजयसर सहित आसपास के गांवों में फैली गंगा-भैरव घाटी में लेपर्ड सफारी विकसित की जाएगी। रणथंभौर, सरिस्का, रावली-टॉडगढ़ और जवांई बांध की तर्ज पर बनने वाली यह सफारी सैलानियों को रोमांच और इतिहास का अनूठा अनुभव प्रदान करेगी।
सैलानी यहां न केवल तेंदुओं को नजदीक से देख पाएंगे बल्कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान के समय के अस्तबल, सैनिक छावनी और ऐतिहासिक स्मृतियों के साथ-साथ हरी-भरी घाटियों में ट्रेकिंग का भी आनंद उठा सकेंगे। सफारी रूट पर विश्राम स्थलों, अल्पाहार केंद्रों और सेल्फी प्वाइंट्स की भी व्यवस्था होगी।
शनिवार को विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने गंगा-भैरव घाटी का दौरा कर प्रस्तावित परियोजना की रूपरेखा का अवलोकन किया। उनके साथ वन विभाग की मुख्य वन संरक्षक ख्याति माथुर और अन्य अधिकारी मौजूद रहे। देवनानी ने टिकट खिड़की, रेस्ट प्वाइंट्स और पर्यटकों की सुविधाओं का स्थल निरीक्षण कर अधिकारियों से विस्तार से चर्चा की।
उन्होंने बताया कि लेपर्ड सफारी परियोजना पर लगभग 19 करोड़ रुपये खर्च होंगे। पहले चरण में छह करोड़ रुपये की लागत से कार्य शुरू किया जाएगा। इसमें 7.5 किलोमीटर पुराने क्षतिग्रस्त ट्रैक का पुनर्निर्माण और 11.5 किलोमीटर नए ट्रैक का निर्माण किया जाएगा। यह ट्रैक मंदिर दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी सहायक सिद्ध होगा।
देवनानी ने कहा कि यह परियोजना न केवल अजमेर को नई पहचान दिलाएगी बल्कि स्थानीय ग्रामीणों के लिए रोजगार और आय के नए अवसर भी खोलेगी।
उन्होंने बताया कि अजमेर में फिलहाल कोई बड़ा इको-टूरिज्म स्थल नहीं है, ऐसे में यह सफारी स्थानीय नागरिकों और पुष्कर आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि अजमेर में पर्यटन विकास के तहत अन्य परियोजनाएं भी शुरू की जा रही हैं, जिनमें साइंस पार्क का निर्माण, वरुणसागर का सौंदर्यकरण और अजमेर एंट्रेंस प्लाजा जैसी योजनाएं शामिल हैं। इन कार्यों से शहर का पर्यटन परिदृश्य पूरी तरह बदल जाएगा।
इस अवसर पर अध्यक्ष रमेश सोनी, उप वन संरक्षक जय सिंह सहित कई जनप्रतिनिधि, अधिकारी और ग्रामीण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
—————
(Udaipur Kiran) / रोहित
