Uttar Pradesh

आवारा श्वानों के प्रबंधन के लिए सरकार ने जारी की नई गाइडलाइन

लखनऊ,06 सि​तम्बर (Udaipur Kiran) । शहरी क्षेत्रों में लगातार बढ़ती आवारा श्वानों के काटने की घटनाओं और मानव–पशु संघर्ष की समस्या को देखते हुए उत्तर प्रदेश के नगर विकास विभाग (यूडीडी) ने एक नया परिपत्र जारी किया है। इसमें नगर निगमों और नगर पालिकाओं को कड़े निर्देश दिए गए हैं। नई गाइडलाइन Animal Birth Control (Shwan) Rules, 2023 के तहत मानवीय तरीके से श्वानों के प्रबंधन पर जोर देती है, साथ ही बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों और उच्चतम न्यायालय के आदेशों को ध्यान में रखते हुए तैयार इस परिपत्र में कई महत्वपूर्ण बिंदु शामिल हैं। इनमें संरचित फीडिंग ज़ोन, विवाद निस्तारण तंत्र, सतत नसबंदी (एबीसी) कार्यक्रम और जागरूकता अभियान प्रमुख हैं।

गाइडलाइन के अनुसार, प्रत्येक वार्ड या क्षेत्र में श्वानों की संख्या के आधार पर पर्याप्त फीडिंग ज़ोन बनाए जाएंगे। इन ज़ोन को बच्चों के खेल स्थलों, प्रवेश और निकास द्वारों या अधिक आवाजाही वाले स्थानों से दूर रखा जाएगा। भोजन कराने का समय भी ऐसा निर्धारित किया जाएगा जिससे बच्चों और बुजुर्गों की गतिविधियों पर असर न पड़े।

श्वानों को भोजन कराने वालों की जिम्मेदारी भी तय की गई है। उन्हें केवल निर्धारित स्थानों पर ही भोजन देना होगा और स्वच्छता का ध्यान रखते हुए बचे हुए भोजन का उचित निस्तारण करना होगा। साथ ही, संबंधित RWA या सोसाइटी के नियमों का पालन अनिवार्य होगा। पशुप्रेमियों को श्वानों की नसबंदी और रेबीज़ टीकाकरण कार्यक्रम में भी सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।

फीडिंग से संबंधित विवाद की स्थिति में एक समिति गठित की जाएगी जिसमें मुख्य पशुचिकित्साधिकारी, पुलिस अधिकारी, RWA सदस्य, आवेदक और अन्य हितधारक शामिल होंगे। समिति का निर्णय अंतिम होगा और यदि विवाद जारी रहता है तो मामला राज्य बोर्ड को भेजा जाएगा।

गाइडलाइन के तहत निर्धारित ज़ोन से बाहर श्वानों को भोजन कराना प्रतिबंधित है। स्थानीय निकायों को फीडिंग ज़ोन पर सूचना बोर्ड लगाने होंगे और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं, नियमों का पालन कर रही महिलाओं या पशुप्रेमियों को धमकाना या उनके साथ दुर्व्यवहार करना अपराध माना जाएगा।

नगर निकाय नागरिकों को फीडिंग ज़ोन और नियमों की जानकारी देने के लिए जागरूकता अभियान चलाएंगे। शिकायतों और समस्याओं के समाधान के लिए हेल्पलाइन नंबर भी उपलब्ध कराया जाएगा। इसके साथ ही NGOs, संस्थाओं और पशुप्रेमियों की मदद से एबीसी कार्यक्रम को गति दी जाएगी। उत्कृष्ट कार्य करने वाले निकायों और संस्थाओं को राज्य सरकार सम्मानित करेगी।

इच्छुक व्यक्ति स्थानीय निकाय को आवेदन देकर आवारा श्वानों को गोद ले सकते हैं, लेकिन गोद लेने के बाद उन्हें छोड़ना अपराध माना जाएगा। श्वानों की नसबंदी और रेबीज़ टीकाकरण का कार्यक्रम निरंतर चलेगा और उपचार के बाद श्वानों को उसी क्षेत्र में छोड़ा जाएगा जहाँ से उन्हें पकड़ा गया था। आक्रामक या रेबीज़ से संक्रमित श्वानों को निगरानी के लिए विशेष पाउंड/सेंटर में रखा जाएगा। सभी निकायों को इसके लिए एक नोडल अधिकारी नामित करना होगा।

नगर विकास निदेशालय में अतिरिक्त निदेशक की अध्यक्षता में एक मॉनिटरिंग सेल गठित की जाएगी जो इन कार्यक्रमों की निगरानी करेगा। साथ ही, पहले से लागू दिशा-निर्देशों जैसे पालतू श्वानों का पंजीकरण, नियमित नसबंदी और टीकाकरण कैंप, घायल या बीमार श्वानों के लिए शेल्टर और मानवीय तरीके से आक्रामक श्वानों को पकड़ने जैसी व्यवस्थाओं को और मजबूत किया जाएगा।

नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने बताया कि “श्वानों के काटने की घटनाएं गंभीर जनस्वास्थ्य समस्या हैं। नई गाइडलाइन मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए प्रभावी प्रबंधन सुनिश्चित करती है। सुरक्षित फीडिंग ज़ोन, विवाद निस्तारण समिति और सामुदायिक भागीदारी से न केवल बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा होगी बल्कि पशु कल्याण भी सुनिश्चित होगा। स्थानीय निकायों को इन दिशा-निर्देशों का त्वरित अनुपालन करना होगा, जिसकी राज्य स्तर पर सतत निगरानी की जाएगी।”

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(Udaipur Kiran) / बृजनंदन

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