Bihar

महिषी उग्रतारा मंदिर परिसर में एक दिवसीय सरस्वती संवाद सह संस्कृतोत्सव कार्यक्रम आयोजित

उग्रतारा मंदिर

सहरसा, 6 सितंबर (Udaipur Kiran) । बिहार में सहरसा जिले के के ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व के तीर्थ स्थल भगवती उग्रतारा की कृपा एवं ग्रामीण आयोजकों के सहयोग से एक दिवसीय सरस्वती संवाद सह संस्कृतोत्सव के एकदिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया गया।

जिले के वरिष्ठ अधिकारियों व सम्मानित आमजनों के सहयोग से संस्कृत और संस्कृति को समर्पित यह प्रयोजन अति प्रेरणादायक रहा। नगर आयुक्त प्रभात कुमार झा, कला संस्कृति पदाधिकारी श्रीमती स्नेहा झा, लोकप्रिय समाजसेवी डॉ रमण झा, युवा साहित्यकार व मिट्टी के गौरव विकास वर्धन मिश्र,नंदकुमार चौधरी, समेत सभी अति विशिष्ट अतिथियों के स्नेहिल सान्निध्य से इस वर्ष का कार्यक्रम अत्यधिक प्रभावशाली रहा।

विधिवत दीप प्रज्ज्वलन, मंगलाचरण एवं स्वागत गान के पश्चात कार्यक्रम का स्वरूप और अधिक दिव्य होता गया।वही वेदपाठी बच्चों के मध्य श्लोक अन्त्याक्षरी प्रतिस्पर्धा, वक्तृता, संस्कृत संवाद समेत कई उत्सवपूर्ण गतिविधियां की गई।जिसमे विजित प्रतिभागियों को नगद पुरस्कार राशि से प्रतिष्ठित किया गया। सम्पूर्ण महिषी ग्रामवासियों सहित बाहर से आगत शताधिक अभ्यागतों ने इस गौरवशाली परम्परा के अक्षुण्ण संवहन हेतु अत्यंत उत्साह प्रकट किया।

नगर आयुक्त प्रभात झा ने कहा कि हम सब अति सौभाग्यशाली हैं कि इस पुण्य भूमि पर आगमन का सुअवसर प्राप्त हुआ।कला संस्कृति पदाधिकारी श्रीमती स्नेहा झा ने कहा कि मेरे लिए अत्यधिक प्रसन्नता का विषय है कि मैं आज मां उग्रतारा और भारती मण्डन के प्रांगण में इस अति सुन्दर आयोजन में सम्मिलित हुई।डा रमण झा ने महिषी और मां तारा की महिमा का विधिवत उल्लेख किया। विख्यात कवि विकास वर्धन मिश्र ने कहा कि हमारी मिट्टी की प्रतिष्ठा सदैव जीवंत रहे इसके लिए हम सबों को कृत संकल्पित होना पड़ेगा।

श्लोक अन्त्याक्षरी प्रतियोगिता में क्रमशः याज्ञवल्क्य, भारती एवं मण्डन समूह ने प्रथम द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया।शिक्षक दिवस पर भी कार्यक्रम में विस्तृत वर्णन किया गया। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को स्मरण किया गया। वहीं महिषी के सबसे कम उम्र के नव नियुक्त शिक्षक शिवम प्रिय को नवोद्भव शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया गया।कार्यक्रम में शत्रुध्न चौधरी के आयोजकत्व में शताधिक संसकृतानुरागी इस परम दिव्य अनुष्ठान में सहभागी रहे।उन्होने कहा कि जिस प्रकार आज सनातन धर्म वैज्ञानिक अनुसंधान सें सत्य सिद्ध हो रहा है ।

उसी प्रकार संस्कृत भाषा भी देववाणी व वैज्ञानिक भाषा है।वही डिजिटल युग में संस्कृत भाषा अंतरिक्ष संवाद सहायक साबित हो रहा है। संस्कृत भाषा की रक्षा सें भारतीय संस्कृति की रक्षा संभव है।

(Udaipur Kiran) / अजय कुमार

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