चंडीगढ़, 05 सितंबर (Udaipur Kiran) । हरियाणा एवं पंजाब समेत समूचे उत्तर भारत में बारिश को लेकर भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट जारी कर कहा है कि इस बार की बारिश ने पिछले कई वर्षों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। बीबीएमबी के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस साल ब्यास नदी में सबसे ज्यादा 11.70 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पानी आया है। इससे पहले 2023 में 9.5 बीसीएम पानी दर्ज किया गया था।
पंजाब में आई बाढ़ को लेकर भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड पर उठ रहे सवालों पर उन्होंने बताया कि भाखड़ा डैम का स्तर इस बार 1679 फीट तक पहुंच गया, जबकि 1988 में यह 1685 फीट तक गया था। लगातार ऊपर से 2 से 2.5 बीसीएम पानी आने के बावजूद डैम से नियंत्रित तरीके से करीब 1.1 बीसीएम पानी छोड़ा गया। इसके बावजूद पंजाब के कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति बनी और हजारों लोग प्रभावित हुए।
भाखड़ा और पोंग डैम उत्तर भारत की जीवनरेखा तो हैं, लेकिन पानी प्रबंधन को लेकर राज्यों में सामंजस्य की कमी लगातार संकट को जन्म दे रही है। पंजाब सरकार का आरोप है कि बीबीएमबी ने समय से ज्यादा पानी छोड़ा, जिससे गांव डूबे और लोग संकट में आए। भाखड़ा डैम से पानी छोड़े जाने और लगातार बारिश के कारण पंजाब के कई इलाकों में खेत, घर और सडक़ें जलमग्न हो गईं। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना पड़ा। बाढ़ से गुस्से में स्थानीय लोगों ने डैम प्रबंधन और सरकारों को कटघरे में खड़ा किया है।
हरियाणा का कहना है कि यदि अप्रैल में उसे डैम से पानी दिया जाता, जब स्तर 1550-1560 फीट था, तो आज पंजाब पर इतना दबाव नहीं होता। हरियाणा का तर्क है कि उस समय यदि तीन फीट पानी कम किया जाता तो बाढ़ का खतरा घट जाता। चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने इस विवाद पर कहा कि डैम से पानी छोडऩे का फैसला तकनीकी समिति लेती है, जिसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के इंजीनियर शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि राज्यों की कंजर्वेटिव अप्रोच ही कई बार विवाद को जन्म देती है।
मनोज त्रिपाठी ने साफ किया कि केवल डैम पर निर्भर रहकर बाढ़ से नहीं निपटा जा सकता। उन्होंने कहा कि राज्यों को चाहिए कि ड्रेनेज और नदियों की सफाई पर समय रहते काम करें, ताकि अचानक पानी छोड़े जाने पर बाढ़ जैसी स्थिति न बने।
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(Udaipur Kiran) शर्मा
