Haryana

हिसार : एनआरआई पति ने समलैंगिकता छुपाकर की थी शादी,अदालत ने खारिज की अग्रिम जमानत

अदालत ने दो आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका

की खारिज

हिसार अदालत ने अग्रिम जमानत याचिका ठुकराई, पीड़िता बोली—अब कानून से ही इंसाफ़

की उम्मीद

हिसार, 5 सितंबर (Udaipur Kiran) । हिसार का बहुचर्चित दहेज उत्पीड़न और समलैंगिकता

छुपाने का मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है। एएसजे निशांत शर्मा की अदालत ने आरोपित

ससुरालियों को बड़ा झटका देते हुए अग्रिम जमानत याचिका सिरे से खारिज कर दी। अदालत

ने कहा कि प्रथम दृष्टया आरोप गंभीर हैं और इस स्तर पर अभियुक्तों को राहत नहीं दी

जा सकती। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश निशांत की अदालत में सेक्टर 16-17 निवासी रमन कुमार

और उनकी पत्नी किरण ने अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दिया था।

अदालत ने दोनों की याचिका को यह कहते हुए शुक्रवार काे खारिज कर दिया कि उनसे अभी स्त्रीधन,

मोबाइल फोन और डिजिटल चैट रिकॉर्ड बरामद किया जाना है। यदि उन्हें जमानत दी जाती है

तो वे जांच को प्रभावित कर सकते हैं। उल्लेखनीय हैं की हिसार के सेक्टर 9/11 निवासी

कुसुम शर्मा (बदला हुआ नाम) ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसका विवाह 2024 में न्यूजीलैंड

निवासी एनआरआई रिषभ के साथ धूमधाम से कराया गया। शादी से पहले ससुराल पक्ष ने उसे बड़ा

व्यवसायी बताकर सपनों का जीवनसाथी दिखाया लेकिन हकीकत यह थी कि पति समलैंगिक है और

यह बात पूरी तरह छुपाई गई।

पीड़िता का आरोप है कि शादी में 50 लाख रुपये से अधिक का

खर्च करवाने के बावजूद पति ने हनीमून पर भी दांपत्य संबंध बनाने से इनकार कर दिया।

विदेश में उसे मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न झेलना पड़ा और बार-बार एक करोड़ रुपये की

मांग रखी गई ताकि न्यूजीलैंड में मकान खरीदा जा सके। पीड़िता का स्त्रीधन भी हड़प लिया

गया।पीड़िता ने बताया कि भारत लौटने के बाद भी उसे राहत नहीं मिली। उल्टे ससुराल पक्ष

ने झूठे सबूत गढ़े और चरित्र हनन करने का प्रयास किया। पीड़िता ने कहा जब हालात असहनीय

हो गए तो उसे मजबूरन पुलिस का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा।

थाना अर्बन एस्टेट हिसार में दर्ज केस में आईपीसी की धाराएं 323, 406,

417, 498-ए, 506 और 34 लगाई गई हैं। अदालत ने कहा कि केस की गंभीरता और अब तक की जांच

को देखते हुए आरोपियों को अग्रिम जमानत देना उचित नहीं है। अदालत ने स्पष्ट किया कि

प्रथम दृष्टया ससुराल पक्ष की नीयत और साजिश साफ झलकती है।पीड़ित पक्ष की तरफ़ से न्यायालय

में एडवोकेट मोहित अरोड़ा पेश हुए और दलीलें रखी।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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