कोलकाता, 5 सितम्बर (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा हाल ही में जारी घोटालेबाज उम्मीदवारों की सूची पर संदेह गहराने लगा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को आशंका है कि आयोग ने जानबूझकर सूची को छोटा कर पेश किया है ताकि अरबों रुपये के अवैध लेन-देन की असली तस्वीर सामने न आ सके।
ईडी सूत्रों के मुताबिक एजेंसी अब एक नई रणनीति पर विचार कर रही है। इसके तहत उन नामों को रणनीतिक तरीके से चुना जाएगा जिनकी धन की आवाजाही से यह साबित हो चुका है कि उन्होंने पैसे देकर शिक्षक की नौकरी पाई थी। फिर देखा जाएगा कि क्या वे नाम आयोग की सूची में मौजूद हैं या नहीं। अगर ऐसे नाम गायब मिलते हैं तो यह साफ हो जाएगा कि सूची को काट-छांट कर जारी किया गया है।
ईडी का मानना है कि आयोग ने जानबूझकर कम संख्या में उम्मीदवारों को सूचीबद्ध किया ताकि घोटाले की कुल रकम कम दिखाई दे। एजेंसी को यह भी शक है कि अब तक जो 1806 नाम जारी किए गए हैं, वे असल आंकड़े से काफी कम हैं।
कानूनी हलकों से भी आयोग की सूची पर सवाल उठे हैं। कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और भाजपा सांसद अभिजीत गांगोपाध्याय तथा वरिष्ठ अधिवक्ता व माकपा सांसद बिकाश रंजन भट्टाचार्य ने दावा किया है कि सूची अधूरी है। उनका कहना है कि असली संख्या करीब 6000 या उससे ज्यादा हो सकती है। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग ने सच्चाई छिपाने के लिए यह सूची सार्वजनिक की है।
ईडी पहले ही इस मामले में करोड़ों रुपये की संपत्ति जब्ती की कार्रवाई कर चुकी है। अब एजेंसी यह जांच कर रही है कि असल में कितने उम्मीदवारों ने नकद देकर नौकरी हासिल की थी और क्या आयोग ने उनकी संख्या कम बताने की कोशिश की है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
