HEADLINES

जमानती अपराध में 43 दिन जेल में रहना खेदजनक, न्यायिक अधिकारी मशीनी अंदाज में न करे जमानत प्रार्थना पत्रों का निपटारा

हाईकाेर्ट

जयपुर, 4 सितंबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने जमानती अपराध होने के बावजूद महिला आरोपियों का जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त कर जेल भेजने के चलते उन्हें 43 दिन तक जेल में रहने पर खेद जताया है। इसके साथ ही अदालत ने न्यायिक मजिस्ट्रेट और एडीजे क्रम-6 महानगर द्वितीय की ओर से पेश स्पष्टीकरण से असंतुष्ट होते हुए रजिस्ट्रार को आदेश दिए हैं कि वह प्रकरण की जानकारी जिले के गार्जियन जज को दे। वहीं अदालत ने डीजीपी को कहा है कि वह संबंधित जांच अधिकारी से इस संबंध में स्पष्टीकरण मांग कर आगामी कार्रवाई करें। अदालत ने याचिकाकर्ताओं को भी कहा है कि यदि उन्हें लगता है कि प्रकरण में उनके मौलिक अधिकारों की अवहेलना हुई है तो वह कानूनी प्रावधानों का सहारा ले सकती हैं। जस्टिस अनिल कुमार उपमन की एकलपीठ ने यह आदेश मीतू पारीक और इंदू वर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।

सुनवाई के दौरान न्यायिक मजिस्ट्रेट और एडीजे क्रम-6 महानगर द्वितीय की ओर से अदालती आदेश की पालना में अपना स्पष्टीकरण पेश किया, लेकिन अदालत उससे संतुष्ट नहीं हुआ। अदालत ने कहा कि न्यायिक अधिकारी अपने स्पष्टीकरण में बता रहे हैं कि प्रकरण में गैर जमानती अपराध के तत्व मौजूद थे, लेकिन जमानत खारिज के आदेश में इसका कोई उल्लेख नहीं है। अदालत ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों ने मशीनी अंदाज में जमानत प्रार्थना पत्रों का निस्तारण किया। जमानती अपराध में जमानत को अधिकार का विषय माना जाता है न की न्यायिक अधिकारी के विवेक का। अदालत ने कहा कि पहली बार जब आरोपी को पेश किया जाता है तो मजिस्ट्रेट के लिए यह अनिवार्य है कि वह सभी दस्तावेजों और साक्ष्य पर विचार करे। इस प्रकरण में जांच अधिकारी, दोनों पक्षों के वकील और न्यायिक अधिकारी अपने कर्तव्य के निर्वहन में विफल रहे हैं। कुछ हद तक यह कोर्ट भी याचिकाकर्ताओं की हिरासत के लिए जिम्मेदार है, क्योंकि बडी संख्या में जमानत याचिकाओं के लंबित होने के कारण वह प्रकरण को प्राथमिकता से नहीं ले सके।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजेश महर्षि ने बताया कि चित्रकूट थाना पुलिस ने प्रॉपर्टी डीलर्स को दुष्कर्म के मामले में फंसाने की धमकी देकर उससे तीन लाख रुपए का चेक लेने के आरोप में याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। दोनों आरोपी 16 जून, 2025 से न्यायिक अभिरक्षा में थी। जमानती अपराध के बावजूद उन्हें जेल में रखा गया। वहीं हाईकोर्ट ने उन्हें गत तीस जुलाई को जमानत दी थी।

—————

(Udaipur Kiran)

Most Popular

To Top