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ओपीएस में भेदभाव के आरोप पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

jodhpur

जोधपुर, 04 सितम्बर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू करने में कथित भेदभाव से जुड़ी एक महत्वपूर्ण याचिका पर सुनवाई शुरू की है।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 19 मई 2022 की अधिसूचना के तहत 01 जनवरी 2004 या उसके बाद नियुक्त सभी सरकारी सेवकों को एनपीएस से हटाकर ओपीएस में शामिल किया गया है। इसके बावजूद राज्य सरकार ने सेवानिवृत्ति की तारीख के आधार पर दोहरी शर्तें लागू कर दी हैं। याचिका में आरोप लगाया गया है कि 01 अप्रैल 2022 से पहले सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अपने एनपीएस कोष की पूरी राशि (100 प्रतिशत) जमा करनी पड़ रही है, और उनका कर्मचारी अंशदान भी वापस नहीं किया जा रहा। वहीं 01 अप्रैल 2022 या उसके बाद सेवानिवृत्त कर्मचारियों को केवल 50 प्रतिशत एनपीएस राशि जमा करनी होती है, जबकि शेष 50 प्रतिशत कर्मचारी अंशदान उन्हें जीपीएफ ब्याज सहित लौटा दिया जाता है। याचिकाकर्ताओं ने इस व्यवस्था को पूरी तरह मनमाना, असंवैधानिक और अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताया है। उनका कहना है कि ओपीएस के तहत मिलने वाले अंतिम लाभ सभी के लिए समान हैं, लेकिन 01 अप्रैल 2022 से पहले सेवानिवृत्त कर्मचारियों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाला गया है।

याचिका में एसआईडीएफ विभाग द्वारा बिना किसी वैधानिक प्रावधान के जारी किए गए परिपत्रों और एनओसी प्रारूप को भी चुनौती दी गई है। इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता ऋषि सोनी एवं कमिनी जोशी ने पैरवी की। कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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