Uttar Pradesh

बाढ़ के पानी में बहकर आयी नवजात को महिला ने अपनाया

जमालपुर के ओड़ी गांव के मन्नू प्रसाद और उसकी पत्नी नीलम बच्चे को लिये हुये।

मीरजापुर, 3 सितंबर (Udaipur Kiran) । कहते हैं मां कभी कुमाता नहीं होती। एक मां ने जन्म देने के बाद नवजात को छोड़ दिया, तो दूसरी मां ने आगे बढ़कर उस बच्ची को अपने कलेजे से लगाने का फैसला लिया। यह अनोखा व भावुक कर देने वाला दृश्य जमालपुर क्षेत्र में देखने को मिला।

करजी और हसौली गांव की सीमा पर बुधवार को बाढ़ के पानी में बहकर एक बांस की टोकरी किनारे लगी। टोकरी में से आती नवजात बच्ची की किलकारी सुनकर वहां मौजूद लोगों की आंखें फटी की फटी रह गईं। देखते ही देखते गांव के लोग कामकाज छोड़कर मौके पर पहुंच गए और नवजात को देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी।

इसी दौरान ओड़ी गांव की नीलम भारती भी वहां पहुंचीं। मासूम को देखकर उनके मातृत्व का जज़्बा उमड़ पड़ा और उन्होंने बच्ची को अपने घर ले जाने का निर्णय ले लिया। नीलम ने कहा— “भगवान ने मुझे इस बच्ची को मां बनने का मौका दिया है। मैं इसे अपनी बेटी की तरह पालूंगी।”

नीलम और उनके पति मन्नू प्रसाद पहले से दो पुत्रियों और एक पुत्र के माता-पिता हैं। बावजूद इसके उन्होंने नवजात के पालन-पोषण की जिम्मेदारी खुशी-खुशी स्वीकार की। क्षेत्र के लोग इस दंपति की दरियादिली और मानवता की मिसाल की सराहना कर रहे हैं।

नवजात को गोद में लिए नीलम भारती जहां-जहां गईं, लोग बच्ची को देखने के लिए जुटते रहे। बाढ़ के बीच जीवन की यह नन्ही किलकारी पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है।

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(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा

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