
नई दिल्ली, 1 सितंबर (Udaipur Kiran) । केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार को कहा कि सदन में सार्थक बहस की बजाय बाहरी राजनीतिक लाभ के लिए दिए जाने वाले भाषणों से चर्चाओं की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
रिजिजू ने दिल्ली विधानसभा के पहले अध्यक्ष चरती लाल गोयल की 98वीं जयंती पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गोयल की विनम्रता से लेकर अनुशासन, निष्पक्षता और समर्पण के बल पर हासिल की गई ऊंचाइयों को याद किया। रिजिजू ने 1993 से दिल्ली विधानसभा के सुचारू संचालन में गोयल की भूमिका और उनके द्वारा स्थापित उच्च मानकों को रेखांकित किया। उन्होंने उनके जीवन की सादगी, ईमानदारी और चुनावी राजनीति से स्वेच्छा से दूर होने के दुर्लभ निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे उदाहरण आज की राजनीति में बहुत कम देखने को मिलते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे नेताओं को याद करना केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि लोकसेवा, सामाजिक कल्याण और सहभागी शासन के प्रति अपने संकल्प को नवीनीकृत करने का अवसर है।
रिजिजू ने यह भी उल्लेख किया कि पिछले कुछ महीनों में वह तीन बार दिल्ली विधानसभा आए और इस अवसर पर आमंत्रित करने के उन्होंने अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के अवसर उन्हें इस संस्था के समृद्ध इतिहास से जुड़ने और उसकी लोकतांत्रिक परंपराओं को गढ़ने वाले महान नेताओं को श्रद्धांजलि देने का अवसर प्रदान करते हैं।
कार्यक्रम में केंद्रीय राज्यमंत्री हर्ष मल्होत्रा, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता, उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट, दिल्ली के महापौर राजा इक़बाल सिंह, गांधी स्मृति के वाइस चेयरमैन एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल, पूर्व राज्यपाल जगदीश मुखी समेत कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे। इस अवसर पर चरती लाल गोयल के जीवन-वृत्त पर आधारित एक विशेष स्मारिका का भी विमोचन किया गया।
केंद्रीय राज्यमंत्री हर्ष मल्होत्रा ने अपने संबोधन में चरती लाल गोयल के साथ बिताए पलों को याद करते हुए उन्हें दिल्ली की नब्ज समझने वाले, जनसुनवाई करने वाले एक अभिभावक समान नेता बताया। उन्होंने 1995-96 की अपनी स्मृति साझा की, जब वह दिल्ली प्रिंटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष थे और छोटे उद्योगों के स्थानांतरण का मुद्दा उठा। गोयल ने उनकी बातें धैर्यपूर्वक सुनीं और संबंधित मंत्री के साथ तत्काल वार्ता कराई, जिसके परिणामस्वरूप बाद में बवाना इंडस्ट्रियल एरिया की स्थापना हुई।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने चरती गोयल को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनकी गरिमामयी छवि, आदर्श आचरण और प्रेरक जीवन हमें यह याद दिलाता है कि सदन की कार्यवाही को शिष्टाचार, परस्पर सम्मान और रचनात्मक संवाद की भावना से संचालित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें अपने आचरण से अपने राजनीतिक विरोधियों का भी सम्मान अर्जित करना चाहिए, जैसा कि गोयल जी ने किया।
अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि चरती लाल गोयल को स्मरण करना केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह जनसेवा, सामाजिक कल्याण और सहभागी शासन के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को पुनः पुष्ट करने का अवसर है। उन्होंने 1993 से दिल्ली विधानसभा के गठन और 1912 में स्थापित केंद्रीय विधान परिषद से लेकर गोपालकृष्ण गोखले, मदन मोहन मालवीय, लाला लाजपत राय और बिपिनचंद्र पाल जैसे महान नेताओं की विरासत का उल्लेख करते हुए गोयल की प्रेरक जीवन यात्रा का भी वर्णन किया।
विजय गोयल ने अपने पिता की स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि उनका जीवन सादगी, अनुशासन और निःस्वार्थ सेवा का प्रतीक था। उन्होंने गोयल के चुनाव टिकट से जुड़े हास्यपूर्ण और भावनात्मक प्रसंग सुनाए और कहा कि यह कार्यक्रम हमें माता-पिता और उनके सिद्धांतों को कभी न भूलने की याद दिलाता है।
विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि विधानसभा युद्ध का नहीं संवाद का स्थान है, यहां सत्ता और विपक्ष दोनों जरूरी होते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में चरती लाल गोयल द्वारा प्रदर्शित नैतिकता, ईमानदारी और लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रकाश सभी नेताओं के लिए मार्गदर्शक है।
दिल्ली के वरिष्ठ नेता लाल बिहारी तिवारी, कांग्रेस नेता किरण वालिया, रमाकांत गोस्वामी और मुकेश शर्मा ने भी चरती लाल गोयल को अपनी श्रद्धांजलि दी। इसके साथ पहली दिल्ली विधानसभा के सदस्यों ने स्वर्गीय चरती लाल गोयल के साथ अपने अनुभवों और उनके व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार साझा किए।
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(Udaipur Kiran) / धीरेन्द्र यादव
