धर्मशाला, 01 सितंबर (Udaipur Kiran) । निर्वासन में रह रहे तिब्बती समुदाय के लोग मंगलवार को मैक्लोडगंज के मुख्य बौद्ध मठ चुगलाखंग में तिब्बत का 65 वां लोकतंत्र दिवस मनाएंगे। इस कार्यक्रम का आयोजन निर्वासित तिब्बती सरकार के सूचना एवं अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग द्वारा किया जाएगा। विभाग के प्रवक्ता तेंजिन जिग्मे ने बताया कि इस दौरान विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होगा। इस मौके पर तिब्बत के राष्ट्रीय ध्वज को भी फहराया जाएगा। कार्यक्रम में निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री और मंत्रियों सहित अन्य अधिकारी तथा तिब्बती समुदाय ले लोग हिस्सा लेंगे।
गौरतलब है कि निर्वासित तिब्बती सरकार या केंद्रीय तिब्बती प्रशासन का गठन 1959 धर्मशाला में दलाई लामा द्वारा चीन के खिलाफ असफल विद्रोह के बाद किया गया था। 2011 में इसे संशोधित कर निर्वासित तिब्बतियों का चार्टर अपनाया गया था। 1959 में दलाई लामा ने काशाग (मंत्रिमंडल) की पुनर्स्थापना की, जो निर्वासित सरकार का प्रारंभिक रूप था। इसके बाद 1963 में दलाई लामा ने तिब्बत का संविधान लागू किया और वे तिब्बती स्थायी राष्ट्राध्यक्ष बने। वहीं 1991 में निर्वासित तिब्बतियों के चार्टर को अपनाया गया, जो निर्वासित सरकार के कामकाज को परिभाषित करता है।
वर्ष 2011 में चार्टर को संशोधित किया गया और सिक्योंग (प्रमुख) का पद सृजित किया गया, जिसके चलते दलाई लामा ने राजनीतिक भूमिका से हटने का फैसला किया और निर्वासित तिब्बती सरकार को लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव के जरिये चुनने की प्रक्रिया शुरू हुई। उसके बाद से अब तक तीसरी लोकतांत्रिक सरकार राष्ट्रपति सिक्योंग पेंपा सेरिंग के नेतृत्व में चल रही है। वह 27 मई 2021 से इस पद पर हैं। इससे पूर्व लगातार दो बार डॉ लोबसांग सांग्ये निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रमुख यानी राष्ट्रपति के पद पर रहे हैं।
(Udaipur Kiran) / सतेंद्र धलारिया
