Uttrakhand

बारिश के साथ नैनी झील में लौटी काई

नैनी झील की सतह पर नजर आ रही काई।

नैनीताल, 1 सितंबर (Udaipur Kiran) । विश्वप्रसिद्ध नैनी झील में एक बार फिर लगभग 2 दशक पुरानी काई की समस्या लौट आयी है। झील की सतह पर परतों के रूप में हरे रंग की एल्गी यानी काई तैरती नजर आ रही है। यह काई झील की मछलियों के जीवन पर खतरा एवं झील के पारिस्थितिकी तंत्र के लिये बड़ा खतरा मानी जाती है।

इस संबंध में पूर्ववर्ती झील विकास प्राधिकरण के सेवानिवृत्त प्रोजेक्ट इंजीनियर सीएम साह ने कहा कि झील में काई आने की समस्या का कारण बरसात के मौसम में झील में बड़ी मात्रा में गंदगी का आना है। इससे झील में ऑक्सीजन की मात्रा घट जाती हैं इसके समाधान के लिये झील में चल रहे एयरेशन को इन दिनों पूरे 24 घंटे लगातार चलाये जाने की आवश्यता है। वहीं जिला विकास प्राधिकरण के सचिव विजय नाथ शुक्ल ने कहा कि वह इस संबंध में विशेषज्ञों से बात कर समाधान निकालेंगे।

2007-08 में इस समस्या के समाधान के लिये बड़े स्तर पर एयरेशन और बायो मैन्युपुलेशन के कार्य किये गये थे। इसके तहत झील में कृत्रिम रूप में ऑक्सीजन प्रवाहित करने के प्रबंध किये गये और झील की सेहत के लिये नुकसानदेह गम्बूशिया व बिग हेड प्रजाति की मछलियों को लाखों की संख्या में झील से बाहर निकाला गया और हजारों की संख्या में काई को खाकर हटाने वाली गोल्डन कार्प व सिल्वर कार्प व झील की सेहत सुधारने वाली महाशीर प्रजाति की मछलियां झील में डाली गयीं। लेकिन इन सभी प्रयासों के बावजूद इधर नैनी झील में पुनः हरी काई नजर आ रही है।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले झील में खतरनाक मांगुर प्रजाति की मछली एक वीडियो में रिकार्ड हुई थी और इधर हाल में झील में लगभग 3 कछुवे देखे जाने के दावे किये गये। इस तरह नैनी झील के प्रति चिंता बन रही है।

पूरे दिन बारिश, जनजीवन प्रभावित

सोमवार को मौसम विभाग की भविष्यवाणी को सही संबंधित करते हुए नगर में रात्रि से लगातार बारिश हुई और दोपहर के बाद तक बिना एक भी मिनट रुके हुए जारी रही। इससे जनजीवन प्रभावित रहा। लोग जरूरी कार्यों से ही घरों से बाहर निकले। नगर में चल रहा नंदा देवी मेला भी भारी बारिश के कारण प्रभावित रहा। अपराह्न में बारिश रुकने से लोगों ने राहत ली। हालांकि आगे भी बारिश की संभावना बनी हुई है।

(Udaipur Kiran) / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

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