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हिमाचल विधानसभा में हंगामा, प्रश्नकाल स्थगित

हिमाचल विधानसभा

शिमला, 1 सितंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार को दो दिन के अंतराल के बाद अपरान्ह दो बजे जैसे ही शुरू हुआ, सदन में गहमा-गहमी व हंगामा देखने को मिला। शुरुआत से ही विपक्षी सदस्यों ने सवाल उठाया कि उनके प्रश्नों के जवाब विधानसभा सचिवालय से नहीं मिल रहे हैं। इस मुद्दे पर विपक्ष के नेताओं और विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) कुलदीप सिंह पठानिया के बीच करीब 15 मिनट तक बहस होती रही।

इसी दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बाढ़ व आपदा पर अपनी स्टेटमेंट देने के लिए खड़े हुए। लेकिन स्पीकर ने व्यवस्था दी कि मुख्यमंत्री प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद ही अपनी बात रख सकते हैं। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष को भी आप अनुमति देते हैं, ऐसे में उन्हें भी अभी स्टेटमेंट देने दी जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष आपदा पर स्थगन प्रस्ताव पहले ही ला चुका है और उसे स्वीकार भी किया गया था, इसलिए वे आज इस ज्वलंत विषय पर सदन में बयान देना चाहते हैं।

हालांकि स्पीकर बार-बार यही कहते रहे कि अभी प्रश्नकाल का समय है और नियमों के अनुसार मुख्यमंत्री अपनी स्टेटमेंट बाद में रखें। इसके बाद मुख्यमंत्री बोले कि वे इस ज्वलंत मुद्दे पर अभी स्टेटमेंट देना चाहते हैं। इसके बाद सदन में विपक्षी सदस्य भी हल्ला करने लगे और सत्तापक्ष के सदस्य भी अपनी सीटों पर खड़े हो गए। सदन में बढ़ती गहमागहमी को देखते हुए स्पीकर ने विधानसभा की कार्यवाही दोपहर 3 बजे तक स्थगित कर दी। इस कारण सोमवार को प्रश्नकाल की कार्यवाही पूरी तरह से ठप रही।

इससे पहले जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो बिलासपुर सदर से भाजपा विधायक त्रिलोक जम्वाल ने सवाल उठाया कि उन्होंने पिछली बार हिमाचल की नई एक्साइज पॉलिसी से जुड़ा प्रश्न लगाया था कि उसकी रिसीट व पेमेंट का ब्यौरा सदन को बताया जाए। लेकिन उनका सवाल सूची से हटा दिया गया है। जम्वाल ने नियम 53 पढ़कर सुनाया और कहा कि सवाल व्यवस्थाओं से जुड़ा है। इस पर स्पीकर ने स्पष्ट किया कि सवाल डिलीट नहीं हुआ है, बल्कि जानकारी उपलब्ध न होने के कारण उसे कल की सूची में डाला जाएगा।

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह अजीब स्थिति है कि विधायक सवाल लगाते हैं और दो-दो साल तक जवाब नहीं मिलता। यहां तक कि आज की प्रश्न सूची में भी वह सवाल नहीं था। उन्होंने कहा कि जब निर्वाचित प्रतिनिधियों को जवाब ही न मिले और उन्हें आरटीआई से सूचना लेनी पड़े तो यह स्वस्थ परंपरा नहीं है। विधानसभा सचिवालय और सरकार का यह दायित्व है कि वे समय पर जानकारी दें।

जयराम ठाकुर ने कहा कि हमारे पास उस सवाल का जवाब आरटीआई से पहले ही आ चुका है, लेकिन विधानसभा में वह उपलब्ध नहीं है। यह हमारे अधिकारों पर कुठाराघात है और बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इस पर स्पीकर ने विपक्ष को आश्वस्त किया कि किसी भी सवाल को हटाया नहीं जाएगा और जैसे ही जानकारी उपलब्ध होगी, उसे सदन के पटल पर रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि नियमों की परिधि में रहकर ही काम किया जा रहा है और कल यह सवाल सूची में अवश्य लाया जाएगा।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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