गोलाघाट (असम), 01 सितंबर (Udaipur Kiran) । बंदर प्रजातियों के संकटग्रस्त स्तनपायी वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति जागरूकता के लिए 1 सितंबर, 2005 से अंतरराष्ट्रीय प्राइमेट दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में साेमवार काे अंतरराष्ट्रीय प्राइमेट दिवस के मद्देनजर वन विभाग द्वारा लोगों को जागरूक करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया हैं।
वन विभाग ने राष्ट्रीय उद्यान के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को स्तनपायी वन्य जीवों के संरक्षण के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में जानकारी दी गयी। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों ने ग्रामीणों को विलुप्ती के कगार पर पहुंचे इन जीवों के अस्तित्व को इंसानी अस्तित्व के लिए बेहद जरूरी बताते हुए इनके संरक्षण के लिए हर संभव कदम उठाने का आह्वान किया।
वर्तमान में भारत में 15 प्रकार के बंदरों में से उत्तर-पूर्व क्षेत्र में 11 और असम में 9 प्रकार के बंदरों का अस्तित्व है। इस क्षेत्र में जोर देने की बात यह है कि हाल ही में बंदर, टूपिमूर्तिया बंदर, लाजुकी बंदर सहित प्राइमेट के अंतर्गत आने वाले कुछ वन्यजीव संकटग्रस्त हो गए हैं या समय के साथ विलुप्त हो गए हैं।
ज्ञात हो कि, गिब्बन अभयारण्य या काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के आस-पास जैसे कुछ हिस्सों में खासकर गिब्बन में संरक्षण की व्यवस्था की गई है। फिर भी पर्याप्त विचरण भूमि और उपयुक्त वातावरण की कमी के कारण अस्तित्व का संकट देखा गया है। ध्यान देने की बात है कि विकास और क्रमविकास के जरिए जीवों की श्रेणी में आने वाली मानव जाति को भी प्राइमेट में शामिल किया गया है।—————————-
(Udaipur Kiran) / अरविन्द राय
