Uttar Pradesh

उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को दिया जा रहा बढ़ावा

खाद्य प्रसंस्करण के नवीन प्रस्तावों के परीक्षण के लिए अप्रेजल समिति की बैठक हुयी सम्पन्न

17 परियोजनाओं को राज्य स्तरीय इम्पावर्ड कमेटी (एसएलईसी) के समक्ष प्रस्तुत करने की संस्तुति की गयी

लखनऊ, 30 अगस्त (Udaipur Kiran) । उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व व निर्देशन में उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने और इस क्षेत्र में अधिक से अधिक इकाइयां लगाने के भरपूर प्रयास किए जा रहे हैं और इस क्षेत्र में विभाग की ओर से उल्लेखनीय कार्य किये जा रहे हैं। नयी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति में इस क्षेत्र में इकाइयां लगाने पर अनुदान सहित अन्य विभिन्न प्रकार की सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। उप मुख्यमंत्री ने पूर्व में ही निर्देश दिए गए हैं कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार कर उद्यमियों को इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रेरित किया जाय।

इसी उद्देश्य से शनिवार को अपर मुख्य सचिव, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश शासन बी. एल. मीणा की अध्यक्षता में उप्र खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2023 अन्तर्गत नवीन प्रस्तावों के परीक्षण के लिए अप्रेजल समिति की बैठक आईसीएआर-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) में संपन्न हुई, जिसमें समिति के सदस्यों के साथ कृषि, बैंकिंग, खाद्य प्रसंस्करण विशेषज्ञों द्वारा विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में प्रतिभाग किया गया। 18 परियोजना प्रस्तावों पर गहन विचार-विमर्श करते हुए कुल 17 परियोजना परियोजनाओं को राज्य स्तरीय इम्पावर्ड कमेटी (एसएलईसी) के समक्ष प्रस्तुत करने की संस्तुति की गयी।

उद्यमियों से प्राप्त 15 परियोजना प्रस्तावों का गहन एवं तकनीकी परीक्षण करते हुए समस्त परियोजनाओं को एसएलईसी के समक्ष को स्वीकृति प्रदान की गयी है। जनपद गाजियाबाद, देवरिया, मुरादाबाद, बाराबंकी रायबरेली, प्रयागराज, वाराणसी, लखनऊ, अलीगढ़, सीतापुर, हरदोई, लखीमपुर खीरी से 1-1 व कानपुर नगर से 3, प्राप्त प्रस्ताव,जिसमें बेकरी प्रोड्क्स, सोलर पावर, फ्रोजेन पी, रामदाना-मसाला, पीनट्स, सास, जेम, आचार, दही, पनीर, मक्खन, घी, पशु आहार, बिस्कुट, मस्टर्ड आयल, मिलेट्स एण्ड मल्टीग्रेन्स, चिक्की एवं ब्रेड रस्क तथा गुड से बनने वाले विभिन्न उत्पादों से संबन्धित उक्त परियोजना प्रस्तावों का परीक्षण करने के साथ-साथ नेशनल सुगर इन्स्टीट्यूट-कानपुर, स्टेट इन्स्टीट्यूट आफ फूड प्रोसेसिंग टेक्नोलाजी लखनऊ, एवं रिजनल फूड रिसर्च एण्ड एनासिसिस केन्द्र के 1-1 प्रस्तावों अर्थात कुल 18 प्रस्तावों का परीक्षण किया गया, जिनकी कुल परियोजना लागत लगभग 100 करोड़ रुपये अनुमानित है तथा योजनान्तर्गत लगभग 20 करोड़ की सब्सिडी के लिए अर्ह पाये गये। इन परियोजनाओं की स्थापना से लगभग 500 व्यक्तियों को खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में रोजगार के अवसर सुलभ होगें।

इस बैठक में अप्रेजल समिति के सदस्यों के अतिरिक्त प्री-अप्रेजल समिति ने संस्तुति की गयी परियोजनाओं से सम्बन्धित जनपद यथा-गाजियाबाद, देवरिया, मुरादाबाद, कानपुर नगर, बाराबंकी, रायबरेली, प्रयागराज, वाराणसी, लखनऊ, अलीगढ़, सीतापुर, हरदोई एवं लखीमपुर खीरी के निवेशकों ने बैठक में प्रतिभाग किया गया तथा संबन्धित जिला उद्यान अधिकारी, प्रधानाचार्य-खाद्य प्रसंस्करण, निरीक्षक-खाद्य प्रसंस्करण एवं उद्यमी मित्रों ने इकाई स्थल पर पहुंच कर वर्चुवल प्रतिभाग करते हुए अद्यतन वस्तु स्थिति से समिति को वीडियो कान्फ्रेन्सिग के माध्यम से अवगत कराया गया।

अपर मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन बी. एल. मीणा ने जानकारी दी गयी कि गुड़ एवं चीनी उत्पादों के प्रसंस्करण के लिए राष्ट्रीय चीनी संस्थान (एन.एस.आई.)कानपुर एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उप्र के मध्य अभी हाल के दिनों में एक एमओयू हुआ है, जिसके सार्थक परिणाम निखर कर आयेंगे। गुड़ व चीनी आधारित उत्पादों पर उद्यमियों द्वारा निवेश किया गया है, जिसमें शाहजहांपुर, गोण्डा एवं बहराइच में अधिकतम इकाई स्थापित की गयी है। श्री मीणा ने अवगत कराया गया कि आस्ट्रेलिया की नागरिकता छोड़कर शमीम की ओर से स्टेट ऑफ आर्ट मार्डन गुड़ आधारित उत्पाद बनाये जा रहे हैं।

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(Udaipur Kiran) / मोहित वर्मा

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