Haryana

हिसार : साहित्यकार जयभगवान सैनी की पुस्तकों का लोकार्पण

पुस्तक लोकार्पण समारोह में उपस्थित साहित्यकार जयभगवान सैनी व अन्य साहित्यकार।

साहित्य साधना के प्रति जीवन समर्पित, श्रेष्ठ साहित्य सृजन करना ही परम लक्ष्य

: जयभगवान सैनी

हिसार, 27 अगस्त (Udaipur Kiran) । प्रसिद्ध साहित्यकार एवं विभिन्न पुस्तकों के रचयिता

जयभगवान सैनी द्वारा लिखित पुस्तक सैनिक जीवन: एक संघर्ष गाथा एवं अनुवादित पुस्तक

बसंत आण की उम्मीद का लोकार्पण धूमधाम से किया गया। पंचकूला स्थित हरियाणा साहित्य

अकादमी भवन में कई वरिष्ठ साहित्यकारों की उपस्थिति में बुधवार काे यह आयोजन किया गया। इस अवसर

पर हरियाणा साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी, हरियाणा उर्दू अकादमी

के निदेशक डॉ. चंद्र त्रिखा, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. ओमप्रकाश कादयान व डॉ. विजेंद्र

सिंह सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

जयभगवान सैनी ने सैनिक जीवन:एक संघर्ष गाथा में पांच सैनिकों की जीवनी को संजोकर

सैनिकों के जीवन में आने वाले उतार-चढ़ावों से साक्षात्कार करवाया है। पुस्तक बसंत

आण की उम्मीद वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. ओमप्रकाश कादयान के कहानी संग्रह का हरियाणवी अनुवाद

है। साहित्यकार जयभगवान सैनी ने कहा कि उनका जीवन साहित्य के प्रति समर्पित है और श्रेष्ठ

साहित्य सृजन के लिए वे निरंतर जुटे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि जयभगवान सैनी के यात्रा

संस्मरण, कविता संग्रह, लघुकविता संग्रह, आत्मकथा, बाल साहित्य व कहानी संग्रह सहित

बहुत सी पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।

विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित जयभगवान द्वारा रचित श्री अमरनाथ धाम एवं

गंगा मैया, डगर-डगर नगर-नगर, रास्तों में रास्ते, वे सुनहरे पल व चलें धामों की ओर

यात्रा संस्मरण काफी पसंद किए गए हैं। इसी भांति कविता संग्रह उम्मीदें, फलों का फल,

सब्जीनामा, धरोहर की पाती व धरती मां (हरियाणवी अनुवादित) कविता संग्रह प्रकाशित हो

चुके हैं। लघुकविता संग्रह लुप्त-विलुप्त (हरियाणवी), मन की गंगोत्री, स्मृति शेष

: जयलालदास, प्रो. रूप देवगुण : अतीत की झलकियां, अतीत के झरोखे, एक बै अमराई मैं

(हरियाणवी अनुवादित), दिवस में दिवस, मैंने पूछा, अन्न पै अधिकार सभी का (हरियाणवी

अनुवादित) व विभूतियों की महिमा भी पाठकों ने सराहे हैं।

आत्मकथा उमड़ती हरियाणवी यादें,

बाल साहित्य कलरव करते पक्षी, पक्षियों का संसार व चुन्नू-मुन्नू की रचना भी वे कर

चुके हैं। घटना-दुर्घटना कहानी संग्रह भी वे लिख चुके हैं। हिसार की बड़वाली ढाणी निवासी

जयभगवान सैनी विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी की और अंत में औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग

से प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त होकर साहित्य साधना में जुट गए। वे विभिन्न राज्यों

व अनगिनत धार्मिक स्थलों की यात्रा करके उनका अवलोकन कर चुके हैं।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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