Madhya Pradesh

उमरियाः वार्डन और उनकी पत्नी की दबंगई से परेशान एसटी-एससी के छात्र, कलेक्टर से लगाई गुहार

वार्डन और उनकी पत्नी की दबंगई से परेशान एस टी एस सी के छात्र

उमरिया, 26 अगस्त (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में मंगलवार को स्कूल टाइम में बच्चों की भीड़ कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंच गई। यह बच्चे छात्रावास की अव्यवस्था को लेकर अपनी फरियाद लेकर कलेक्टर के पास पहुंचे और बताया कि किस प्रकार से छात्रावास में हमें यातनाएं दी जाती हैं, खाने पर सवाल करो तो मार भी झेलनी पड़ती है।

मामला आदिम जाति कल्याण विभाग के आदिवासी बालक छात्रावास करकेली का है, जहां के आधा सैकड़ा बच्चे छात्रावास अधीक्षक और उनकी दबंग पत्नी की कारगुजारी को लेकर कलेक्टर के पास पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से अधीक्षक द्वारा 50 सीटर छात्रावास में 100 बच्चों को बैठाया और सुलाया जाता है, जिसके कारण एक बेड में दो और तीन बच्चों को जगह दी जाती है, जिसके कारण हमें परेशानी होती है, खाना ग़लत बने और इसकी शिकायत गलती से भी कर दी तो उस दिन बच्चे को खाना नहीं दिया जाता और उस दिन अधीक्षक और उनकी पत्नी द्वारा मारपीट तक की जाती है।

छात्र मनमोहन सिंह ने बताया कि 50 सीटर हॉस्टल में एससी और एसटी के 100 बच्चों को रखा जाता है, जबकि दूसरा 50 सीटर हॉस्टल बना हुआ है मगर उसकी नहीं खोला जा रहा, सर की वाइफ जूनियर बच्चों के साथ मारपीट करती हैं। जब तक सीनियर बच्चे रहते हैं तब कुछ नहीं बोलती है। यदि किसी बच्चे की तबीयत खराब हो गई तो उसके साथ मारपीट करती हैं, कई बार हम अधीक्षक सर से बोले हैं, लेकिन वह कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। जिसके चलते आज सभी छात्रों को लेकर आज हम लोगों को कलेक्टर साहब के पास आना पड़ा है।

वहीं छात्र प्रवीण कुमार झारिया ने बताया कि हमारी समस्या यह है कि 50 सीटर हॉस्टल में 100 बच्चों को रखा जाता है जबकि नया हॉस्टल बना हुआ है उसको नहीं खोला जाता है। हम लोगों के हॉस्टल की यह कंडीशन है कि पानी चूता है रात में हमारे बेड भी जाते हैं मगर हमारी कोई सुनता ही नहीं है, खाना पीना भी अच्छा नहीं होता है अगर कोई बच्चा बोल दिया तो अधीक्षक सर की वाइफ उसको पीटती है। हम लोग मजबूर हो गए हैं, हमारी पढ़ाई लिखाई भी ठीक ढंग से नहीं हो रही है।

वही इस मामले में डिप्टी कलेक्टर हरनीत कौर कलसी ने बताया कि आज हॉस्टल के कुछ छात्र-छात्राएं कलेक्टर के पास आए थे और कलेक्टर द्वारा संबंधित अधिकारी को दिशा निर्देश दिए गए हैं कि कितनी सीट है, उसकी उपलब्धता और किस प्रावधान के अनुसार बच्चों को वहां रखा जाता है, जबकि एक मेरिट लिस्ट जनरेट होती है जिसके आधार पर बच्चों को वहां एडमिशन दिया जाता है, इसकी लिस्ट पब्लिश करवाई जाएगी इसके अलावा जो बच्चों के साथ दुर्व्यवहार की शिकायत है उस पर भी एक जांच दल गठित करके उसकी जांच करवाई जाएगी और जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

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(Udaipur Kiran) / सुरेन्‍द्र त्रिपाठी

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