
शिमला, 26 अगस्त (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और उत्कृष्ट स्वास्थ्य संस्थानों को लेकर नियम-130 के तहत विस्तृत चर्चा हुई। चर्चा के दौरान विपक्ष ने प्रदेश सरकार पर स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति के आरोप लगाए, वहीं सत्ता पक्ष ने स्वास्थ्य क्षेत्र में हुए सुधार और उपलब्धियों का बखान किया।
विपक्ष की ओर से चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा विधायक विपिन सिंह परमार ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत चिंताजनक है। अस्पतालों में मशीनें खराब हैं, दवाइयां खत्म हो रही हैं और पैरा मेडिकल स्टाफ की भारी कमी बनी हुई है। उन्होंने कैग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पूरे देश में हिमाचल की स्वास्थ्य सेवाएं सबसे नीचे स्तर पर पहुंच चुकी हैं। परमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग में 6181 आवश्यक पद हैं, जिनमें से 3246 खाली पड़े हैं, जबकि विशेषज्ञ डॉक्टरों के लगभग 49 प्रतिशत पद रिक्त हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य संस्थानों का ढांचा पूरी तरह बिगड़ चुका है और अब इस मुद्दे पर विधानसभा के भीतर और बाहर लड़ाई जारी रहेगी।
वहीं कांग्रेस विधायक राकेश कालिया ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं लगातार बेहतर हो रही हैं। उन्होंने दावा किया कि सरकार के प्रयासों से नए स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टरों की नियुक्तियां हो रही हैं और लोगों को बेहतर उपचार मिल रहा है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सांप के काटने के मामलों में छोटे-छोटे अस्पतालों तक एंटी-वेनम इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
चर्चा में भाजपा विधायक डॉ. जनक राज ने कहा कि चंबा मेडिकल कॉलेज की एमआरआई मशीन और एम्स चमियाणा का रोबोट बेकार साबित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि रोबोटिक सर्जरी की जगह प्रदेश को अभी रीनल ट्रांसप्लांट जैसी सुविधाओं की जरूरत है। उनका आरोप था कि कई अस्पतालों में मरीजों को सिरिंज और गॉजपीस तक उपलब्ध नहीं हैं।
कांग्रेस विधायक विवेक शर्मा ने सत्ता पक्ष का पक्ष रखते हुए कहा कि प्रदेश में कैंसर मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने बड़े सुधार किए हैं। उन्होंने बताया कि कई क्षेत्रों में अल्ट्रासाउंड मशीनें लगाई जा चुकी हैं और बच्चों के लिए डॉक्टरों की नियुक्तियां की गई हैं।
कांग्रेस के ही मोहन लाल ब्राक्टा ने कहा कि सीएम के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुए हैं और सरकार की प्राथमिकता हर नागरिक को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देना है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को केवल आलोचना नहीं करनी चाहिए बल्कि सरकार के अच्छे कामों की सराहना भी करनी चाहिए।
वहीं भाजपा विधायक प्रकाश राणा ने आरोप लगाया कि सरकार के आदर्श स्वास्थ्य संस्थानों की घोषणा तो तीन साल पहले की गई थी, लेकिन स्थिति जस की तस है। उन्होंने उदाहरण दिया कि जोगिंद्रनगर सिविल अस्पताल में पहले 14-15 डॉक्टर रहते थे, लेकिन अब केवल तीन डॉक्टर बचे हैं। गरीब लोग इलाज के लिए भटक रहे हैं और अस्पताल रेफरल केंद्र बनकर रह गया है।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
