धर्मशाला, 26 अगस्त (Udaipur Kiran) । उपभोक्ता आयोग जिला कांगड़ा की अदालत ने एक अहम फैसले में बीमा कंपनी को मृतक के परिवार को 45 दिन के भीतर बीमा राशि के तौर पर 2 लाख रुपए अदा करने के आदेश जारी किए हैं। इसके साथ ही अगर बीमा कंपनी द्वारा भुगतान में देरी करती है तो कंपनी को 9 फीसदी वार्षिक ब्याज सहित यह पूरी राशि मृतक के परिवार को लौटानी होगी। इसके साथ ही कंपनी द्वारा शिकायतकर्ता को 10 हजार रुपए हर्जाना और 10 हजार रुपए मुकद्दमेबाजी का खर्च भी देना होगा।
आयोग के अध्यक्ष हेमांशु मिश्रा, सदस्य आरती सूद व नारायण ठाकुर की अदालत ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया। जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता मृतक की विधवा पत्नी ने बताया कि उनके परिवार में अब वे और उनके बच्चे हैं। उन्होंने अपनी शिकायत में बताया था कि 20 अगस्त 2022 को उनके पति का उस समय निधन हो गया था जब भारी बारिश के कारण पानी घर की ओर आने लगा और वे परिवार के साथ पानी की धारा मोड़ने निकले। अचानक पास की जमीन का कंक्रीट का डंगा उनके पति के ऊपर आ गिरा। उन्हें तुरंत स्थानीय सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। विधवा महिला के अनुसार उनके पति एक सुरक्षा बीमा योजना के तहत बीमित थे और नियमित किस्तें जमा कर रहे थे। बीमा कंपनी से परिवार ने 2 लाख का दावा किया, परंतु कंपनी ने यह कहते हुए दावा ठुकरा दिया कि मृतक के खून में शराब की मात्रा पाई गई है और यह पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन है।
शिकायतकर्ता ने इसे अनुचित बताते हुए आयोग का दरवाजा खटखटाया। आयोग ने पुलिस जांच, पोस्टमार्ट और फॉरेंसिक रिपोर्ट का गहराई से अवलोकन किया। जिसमें यह पाया गया कि सैंपल लंबे समय तक पुलिस स्टे व लैब में पड़े रहे, जिससे शराब की मात्रा बढ़ने की संभावना थी। साथ ही पुनः जांच में यह स्पष्ट हुआ कि मृत व्यक्ति की मौत शराब पीने से नहीं बल्कि कंक्रीट की दीवार गिरने से हुई थी।
आयोग ने कहा कि इस हादसे का सीधा कारण कथित शराब सेवन की जगह प्राकृतिक आपदा (दीवार गिरना था। बीमा कंपनी द्वारा दावा खारिज करना सेवा में कमी है। इसको आधार मानते हुए आयोग ने शिकायतकर्ता उपभोक्ता महिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उपरोक्त आदेश जारी किए हैं।
(Udaipur Kiran) / सतेंद्र धलारिया
