
–गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने व पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग
बिजनौर, 26 अगस्त (Udaipur Kiran) | लिव इन रिलेशनशिप भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है, यह पश्चिमी सभ्यता की देन है। यह मनुष्यता की संस्कृति नहीं है। अगर साथ रहना है तो विवाह कीजिए यही उचित मार्ग है। यह बात जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी यतिन्द्रानंद गिरी ने बुधवार को पीडब्ल्यूडी डाक बंगले बिजनौर में प्रेस से वार्ता करते हुए कही |
उन्हाेंने लिव इन रिलेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट को ऐसे फैसले नहीं लेने चाहिए। भले ही सुप्रीम कोर्ट ने इसे मान्यता दी हो लेकिन यह सभ्य समाज के लक्षण नहीं है। यह भारतीय संस्कृति और संस्कारों से छेड़छाड़ है, जो सुप्रीम कोर्ट का समर्थन कर रहे हैं वह मूर्ख हैं |
महामंडलेश्वर ने स्वामी रामभद्राचार्य के मामले में कहा कि उनकी स्मरण शक्ति बहुत अच्छी है, लेकिन भाषा में अहंकार झलकता है| इस मौके पर महामंडलेश्वर ने केंद्र सरकार से मांग की कि गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कर स्कूल कॉलेज के रेगुलर कोर्स में गीता और उपनिषदों को शामिल करना चाहिए | उन्होंने क्रिकेट और बॉलीवुड को भ्रष्ट बताया, कहा कि क्रिकेट सट्टेबाजी का खेल बन गया है वही बॉलीवुड चरित्रहीनता का पर्याय है |
महामंडलेश्वर ने युवाओंं से अपील किया है कि समाज को सही दिशा देने वाले वैज्ञानिकों, संतों, आर्मी के जवानों, खिलाड़ियों आदि को अपना रोल मॉडल बनाएं | इसके अलावा महामंडलेश्वर यतिन्द्रानंद गिरी महाराज किरतपुर के मोहल्ला जाटान स्थित व्यापारी राजीव अग्रवाल के यहां पहुंचे जहां नगर वासियों ने उनका माल्यार्पण कर भव्य स्वागत किया |
(Udaipur Kiran) / नरेन्द्र
