
नई दिल्ली, 22 अगस्त (Udaipur Kiran) । कारोबारी संगठन कन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सरकार से कार्बोनेटेड पेय पदार्थों पर जीएसटी की दर कम करने की अपील की है। कैट ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर कहा है कि इन पेय पदार्थों को 18 फीसदी जीएसटी स्लैब में रखा जाए। कैट का मानना है कि इससे छोटे व्यापारियों को फायदा होगा।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भारतीया ने रविवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भेजे गए एक पत्र में कहा कि जब जीएसटी कर प्रणाली का पुनर्गठन किया जा रहा है, तो एक ओर कर स्लैब को पुनर्परिभाषित करना आवश्यक है। दूसरी ओर बहु-आयामी अनुपालनों के बोझ को कम करना इन सुधारों का प्रमुख उद्देश्य होना चाहिए। भारतीया ने कहा कि देश के आंतरिक व्यापार तंत्र को मजबूत करने का सुनहरा अवसर है, जिससे विशेष रूप से छोटे खुदरा व्यापारी, किराना स्टोर, फेरीवाले और पान की दुकान चलाने वाले लोग लाभान्वित होंगे हैं। भारतीया ने हंसा रिसर्च के साथ कराए गए कैट अध्ययन का उल्लेख करते हुए बताया कि केवल पेय पदार्थ ही छोटे किराना स्टोरों की बिक्री मात्रा का करीब 30 फीसदी हैं, किंतु वर्तमान में कार्बोनेटेड पेयों पर उच्च कर दर ने उनकी आय को कम कर दिया है।
कैट अध्यक्ष ने उल्लेख किया कि वैश्विक स्तर पर पेय पदार्थों पर औसत कर की दर 16-18 फीसदी के बीच है और कार्बोनेटेड पेयों को 18 फीसदी जीएसटी स्लैब में रखने से भारत अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं के अनुरूप होगा तथा घरेलू औपचारिककरण को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने व्यापारिक समुदाय की ओर से आग्रह किया कि प्रस्तावित जीएसटी सुधारों के तहत कार्बोनेटेड पेयों को 18 फीसदी स्लैब में पुनर्वर्गीकृत किया जाए। कैट के अध्यक्ष ने कहा कि सरकार का ये कदम छोटे कारोबारियों को राहत देगा और राजस्व में वृद्धि करेगा।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में कार्बोनेटेड पेय पदार्थों पर 28 फीसदी जीएसटी के साथ 12 फीसदी का कम्पनसेशन सेस भी लगता है। इससे कुल इफेक्टिव रेट 40 फीसदी हो जाता है।
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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर
