
बीकानेर, 24 अगस्त (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, बीकानेर प्रभागाध्यक्ष डॉ एस सी मेहता ने कहा कि देश में तीन लाख चालीस हजार घोड़े हैं उनमें से मात्र दस हजार के आस-पास घोड़े विदेशी हैं लेकिन उनके लिए रेस कोर्सेस हैं, क्लब्स हैं एवं अन्य कई सुविधाएं देश में हैं लेकिन स्वदेशी तीन लाख तीस हजार घोड़ों के लिए कुछ नहीं।
केंद्र पर भारत में अश्व-क्षेत्र के विकास पर कार्यशाला में उन्हाेंने हैरानी व्यक्त करते हुए यह बात कही। आयोजन की शुरुआत गोंडल, गुजरात से पधारे माँ भुवनेश्वरी पीठ केआचार्य घनश्याम के आशीर्वचनों एवं माँ सरस्वती के दिप प्रज्वलन के साथ हुई।डाॅ. मेहता ने बताया कि आज आवश्यकता है हमें इन स्वदेशी घोड़ों को बढ़ावा देने की एवं उसके लिए उन्होंने हॉर्स सफारी,राईडिंग स्कूल्स, रेड़ी रेस, तांगा रेस, रेवाल चाल, ड्रेसाज, ईंडूरेंस रेस, एरीना पोलो आदि घोड़ों पर आधारित स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने की बात दी जो कि हमारे स्वदेशी घोड़ों के अनुरूप है एवं हमारा घोड़ा इस स्पर्धाओं में बहुत आगे जा सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया की कई जगह कानून की स्थिति स्पष्ट नहीं होने से भी कई बाधाएं आती है, जैसे रेड़ी रेस या तांगा रेस करावा सकते हैं या नहीं। उन्होंने इस बात पर बल दिया की जब जल्लिकट्टु भी उचित नियमों के पालन के साथ खेला जा सकता है तो रेडी रेस क्यों नहीं। लेकिन उन्होंने इस बात पर विशेष जोर देते हुए कहा की जब तक राष्ट्रिय खेल निति में स्वदेशी घोड़ों के स्पोर्ट्स को राज्य स्तर एवं राष्ट्रीय स्तर पर आयोजन की रूप रेखा नहीं बनती है एवं मान्यता नहीं मिलती है तब तक यह कार्य अधूरा ही रहेगा। उन्होंने निति निर्धारकों से अपील की इस सम्बन्ध में आगे की कार्यवाही जनहित में प्रारम्भ करें। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए आलइंडिया भीमथड़ी हॉर्स एसोसिएशन, बारामती, पुणे के संस्थपाक अध्यक्ष रणजीत डी पंवार ने कहा कि हमने डॉ मेहता के साथ मिल कर करीब तीन सौ वर्ष पूर्व की विरासत को पुनः संभाला है एवं उसे भीमथड़ी नस्ल के रूप में मान्यता प्रदान करवाई है। हमने उसको डीएनए के स्तर पर भी सिद्ध किया है। अब हम उसके सतत विकास की रूपरेखा पर कार्य कर रहे हैं एवं पिछले दो वर्षों में लगातार दो शो करवाए हैं एवं उनकी स्पोर्ट्स क्षमताओं के विकास पर कार्य कर रहें हैं। इसके लिए हमने “ब्रिटिश पोनी क्लब” के साथ भी टाईअप किया है। अब यह नस्ल रिलायंस के वन-तारा में भी संरक्षित रहेगी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉरामेश्वर सिंह, कुलपति, गुरु काशी विश्वविद्यालय, भटिण्डा थे एवं विशिष्ट अतिथि डॉ देवेंद्र स्वरूप, पूर्व निदेशक, केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, डॉ कानन कुलसेकर, तनुवास, चेन्नई एवं डॉ श्रीनिवास, नार्म, हैदराबाद से थे। कार्यक्रम में उद्बोधन देते हुए डॉ टी के भट्टाचार्य, निदेशक ने केंद्र की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला एवं स्वदेशी एस.एन.पी. चिप, घोड़ों की आठवीं नस्ल, होल जीनोम कार्यक्रम, भ्रूण प्रत्यर्पण एवं विट्रीफिकेशन तकनीक आदि केंद्र द्वारा विकसित किए जाने की जानकारी दी एवं वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने केंद्र द्वारा विक्सित किए गए वैक्सीन्स एवं डायग्नोस्टिक किट्स की जानकारी भी दी।
कार्यक्रम में आल इंडिया मारवाड़ी एसोसिएशन के अध्यक्ष गजेंद्र पालसिंह पोसाणा ने दिल्ली में होने वाले स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस पर स्वदेशी घोड़ों की एक टुकड़ी को सम्मिलित करने की बात कही।
कार्यक्रम में इंडिजीनस हॉर्स सोसिटी के वाईस प्रेजिडेंट रघुवेन्द्रसिंह डूंडलोद ने कहा कि हमारे घोड़े सफ़ारी के लिए विश्वस्तरीय है, उन्होंने घोड़ों में एंटी डोपिंग टेस्ट की आवश्यकता पर बल दिया एवं कहा कि हर हॉर्स शो राष्ट्रीय नहीं हो सकता, इसके लिए प्रोपर फॉर्मेट एवं मान्यता की आवश्यकता है। पंजाब से आए कर्नल सर प्रताप सिंह ने कहा कि ग्लैंडर्स की रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए अनंत सिंह राठौर, केलवा, काठियावाड़ी हॉर्स एसोसिएशन के सेक्रेटरी राजेश भाई जड़ेजा, मारवाड़ी हॉर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आशीष भाई अमिन, पूना से केशव जोशी एवं सचिन जगताप ने भी विचार रखे।
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(Udaipur Kiran) / राजीव
