
जयपुर, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) । केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा की अदालतों में लंबित मुकदमों का निस्तारण सेवानिवृत्त जजों के जरिए कराने पर प्रारंभिक रूप से सहमति बन गई है। इसके लिए हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से छंटनी कर शारीरिक रूप से सक्षम पूर्व न्यायाधीशों के नाम भेजे जाए। इसके साथ ही इवनिंग कोर्ट्स के संचालन को लेकर भी चर्चा की जा रही है। इस साल हाईकोर्ट में बड़ी संख्या में जजों की नियुक्ति की गई है। इससे मुकदमों के निस्तारण में सहायता मिलेगी। विधि मंत्री मेघवाल ने यह विचार पूर्व न्यायाधीश गणपत सिंह भंडारी की ओर से लिखित पुस्तक तत्काल न्याय प्रदान करना: पूर्व जज की यादें के विमोचन समारोह में रखे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने कहा कि जज की यह कोशिश रहती है कि केस के हर पहलू को देखकर मुकदमे का निस्तारण किया जाए। वकील को तारीख इसलिए दी जाती है कि वह केस से जुड़ा हर तथ्य सामने रख सके। जस्टिस शर्मा ने कहा कि मध्यस्थता के जरिए दोनों पक्षों की सहमति से मुकदमे का तत्काल निस्तारण किया जाता है। पुस्तक के लेखक गणपत सिंह भंडारी ने बताया कि पुस्तक में तत्काल न्याय देने के अनुभवों के बारे में जानकारी दी गई है। अपने सेवाकाल के बारे में बताते हुए भंडारी ने बताया की उन्होंने अपनी पूरी सेवा में कभी भी फैसला सुरक्षित नहीं रखा। जिस दिन बहस पूरी होती थी, उसी दिन फैसला दिया जाता था। इसके अलावा बंटवारे सहित सिविल मुकदमों में मौके पर जाकर मुकदमों का निस्तारण किया जाता था।
कार्यक्रम में जस्टिस अनुरूप सिंघी, महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जीएस सिंघवी, जस्टिस एनके जैन, पूर्व लोकायुक्त एसएस कोठारी सहित विधि क्षेत्र से जुडे लोग मौजूद रहे।
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(Udaipur Kiran) / अखिल
