
जोधपुर, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) । घरेलू हिंसा के एक प्रकरण में सास, ससुर, जेठ, देवर और देवरानी को कोर्ट में घसीटना अनुचित मानते हुए न्यायालय ने सभी परिवारजनों को राहत प्रदान की।
परिवारजन के अधिवक्ता एमएस राजपुरोहित ने अदालत में यह दलील दी कि यद्यपि पीडि़ता और परिवारजन एक ही मकान में रहते हैं, लेकिन सभी अपने-अपने हिस्सों में अलग-अलग निवासरत हैं। उनका पीडि़ता से कोई प्रत्यक्ष लेना-देना नहीं है। केवल तंग व परेशान करने की नियत से इन्हें मुकदमे में पक्षकार बनाया गया है। अधिवक्ता ने कहा कि पत्रावली में परिवारजनों के खिलाफ किसी प्रकार का कोई ठोस सबूत उपलब्ध नहीं है।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पीपाड़ शहर ने केवल शक के आधार पर इन्हें मुकदमे में पक्षकार बनाया था। न्यायालय ने सुनवाई के दौरान यह माना कि पीडि़ता के साथ परिवारजनों द्वारा न तो शारीरिक और न ही मानसिक क्रूरता की गई है। साथ ही विभिन्न न्यायिक दृष्टांतों का हवाला देते हुए यह स्पष्ट किया गया कि ससुराल पक्ष का रिश्ता होने मात्र से सभी को कठघरे में खड़ा नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि भरण-पोषण की कार्यवाही केवल पति के विरुद्ध ही की जा सकती है, अन्य परिवारजनों के खिलाफ नहीं। इस आधार पर न्यायालय ने घरेलू हिंसा प्रकरण से सास-ससुर, जेठ, देवर व देवरानी के नाम हटाने (डिलीट/ड्रॉप) का आदेश प्रदान किया और उन्हें राहत दी।
(Udaipur Kiran) / सतीश
