Uttrakhand

बंदर और आवारा कुत्तों के आतंक से लोग परेशान

-छह महीने में 40 से अधिक लोग हो चुके घायल

रुद्रप्रयाग, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) । ऊखीमठ नगर पंचायत के प्रवेश द्वार पर कूड़ा डंपिंग जोन आवारा कुत्तों और हिंसक बंदरों का अड्डा बन गया है, जिससे स्कूली बच्चों और अन्य राहगीरों को खतरा बना है। बावजूद, नगर पंचायत और तहसील प्रशासन द्वारा इस समस्या के निस्तारण के लिए कोई प्रयास नहीं किये जा रहे हैं।

नगर मंडल व्यापार संघ ने भी जिलाधिकारी को ज्ञापन भेजकर नगर क्षेत्र में बंदर और आवारा कुत्तों के बढ़ते प्रकोप से निजात दिलाने की मांग की है।

तहसील मुख्यालय और नगर पंचायत ऊखीमठ क्षेत्र में बंदरों का आतंक दिनोंदिन बढ़ रहा है। एक तरफ जहां बंदर खेत-खलियानों में काश्तकारों की फूल-फूल की खेती को नष्ट कर रहे हैं। वहीं, घरों व रास्ते में लोगों पर हमला कर उन्हें लहुलुहान कर रहे हैं।

दूसरी तरफ आवारा कुत्ते झुंड में राहगीरों पर हमला कर रहे हैं। ओंकारेश्वर वार्ड निवासी पवन राणा का कहना है कि प्रशासन द्वारा बंदरों को पकडऩे के लिए पूर्व में वन विभाग के सहयोग से पिंजरे लगाये गये थे, लेकिन कुछ समय बाद यह कार्य बंद हो गया। अब, बंदरों का आतंक अपने चरम पर पहुंच चुका है, जिससे स्थानीय लोगों का जीना दुभर हो गया है।

मंदिर मार्ग के व्यवसायी दिनेश गुसाईं का कहना है कि बंदर मंदिर में आने वाले यात्रियों की पूजा सामग्री तक छीन रहे हैं जिससे कई बार लोग चोटिल भी हो रहे हैं। साथ ही स्थानीय दुकानदारों के दुकानों में रखे सामान को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं।

मंगोली गांव निवासी विराट सौरभ भट्ट ने बताया कि आवारा कुत्ते झुंड में जगह-जगह पर एकत्रित होकर राह चलते लोगों और स्कूली बच्चों के पीछे दौड़ रहे हैं। एक सप्ताह में आवारा कुत्ते अलग-अलग जगहों पर तीन लोगों को काट चुके हैं। स्वामी प्रणवानंद विद्यामंदिर भारत सेवाश्रम की छात्रा व किमाणा गांव निवासी आयुशी ने बताया कि बंदर और आवारा कुत्तों के कारण उन्हें घर से स्कूल जाने व वापस लौटने में निरंतर डर लगा रहता है।

पीएचसी ऊखीमठ से मिली जानकारी के अनुसार बीते छह माह में बंदर और आवारा कुत्तों के हमले से 40 से अधिक लोगों का इलाज किया जा चुका है।

इधर, उप जिलाधिकारी अनिल कुमार शुक्ला ने बताया कि वन विभाग और नगर पंचायत को विशेषज्ञों की मदद से समस्या निस्तारण के लिए निर्देश दिये गये हैं। नगर पंचायत अध्यक्ष कुब्जा धरम्वाण ने बताया कि वन विभाग को बंदरों से निजात दिलाने के लिए ठोस प्रयास करने को कहा गया है। बताया कि पूर्व में पिंजरे लगाये गये थे, पर मौजूदा समय में पुन: बंदरों को पकडऩे के लिए प्रयास किये जा रहे हैं।

(Udaipur Kiran) / दीप्ति

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