Uttar Pradesh

स्वर्णप्राशन संस्कार विधा बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर: डॉ. वंदना पाठक

बच्चों को स्वर्ण प्राशन के बारे में बताती डॉ. वंदना

कानपुर 21अगस्त (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में लालबंगला स्थित नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन, महिला फोरम द्वारा एकदिवसीय निशुल्क पुष्य नक्षत्रस्वर्ण प्राशन संस्कार कैम्प का आयोजन आरोग्य क्लिनिक लालबंगला, स्वास्थ्य केंद्र छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) एवं राजकीय बाल गृह, कल्याणपुर कानपुर में किया गया। यह जानकारी गुरूवार को वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डॉ. वंदना पाठक ने दीं।

वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डॉ. वंदना पाठक ने इस मौके पर नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन, महिला फोरम सचिव आयुर्वेदाचार्य डॉ. वंदना पाठक ने 140 बच्चों का निशुल्क स्वर्ण प्राशन किया गया। इसमें सभी बच्चों और उनके अभिभावकों को वर्षा ऋतु एवं और इस ऋतु में क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। इसके बारे मे विस्तार से जानकारी दी।

कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डॉ. वंदना पाठक ने उपस्थित अभिभावकों और लोगों को वर्षा ऋतु में अपनाए जाने वाले खानपान एवं जीवनशैली के विषय में मार्गदर्शन दिया। उन्होंने बताया कि बरसात के मौसम में हल्का, पौष्टिक और पचने में आसान भोजन का सेवन करना चाहिए। मूंग दाल, खिचड़ी और हरी सब्जियां जैसे लौकी, तोरी, भिंडी और परवल इस ऋतु में विशेष रूप से लाभकारी होती हैं। डॉ. पाठक ने यह भी सुझाव दिया कि सब्जियों को पकाने से पहले अच्छी तरह धोना चाहिए तथा तैलीय और मसालेदार भोजन से परहेज़ करना चाहिए। मौसमी फल जैसे नाशपाती, पपीता और अनार को स्वास्थ्य के लिए उपयोगी बताते हुए उन्होंने लोगों से इन्हें नियमित आहार में शामिल करने की अपील की।

डॉ. पाठक ने कहा कि स्वर्णप्राशन संस्कार के बारे में बताते हुए कहा कि आयुर्वेद की यह विधा बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी कारगर है। संस्कार की महत्ता बताते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में प्रचलित 16 संस्कारों में से एक संस्कार है। यह बच्चों के शारीरिक, मानसिक विकास में विशेष योगदान करता है।

उन्होंने कहा कि जिन बच्चों यह संस्कार नियमित रूप होता है, उनमें मौसम और वातावरणीय प्रभाव के कारण होने वाली समस्याएं अन्य बच्चों की अपेक्षा कम देखी गयी हैं। स्वर्णप्राशन में प्रयुक्त होने वाली औषधि स्वर्ण भस्म, वच, गिलोय, ब्राह्मी, गौघृत, मधु आदि द्रव्यों के सम्मिश्रण से बनाया जाता है।

उन्होंने कहा बच्चों को नियंत्रित करने के लिए डांटना, पीटना आदि भी उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है। अतः बच्चों को प्यार से समझाना चाहिए। उन्होंने बच्चों को मौसम के अनुसार फल और सब्जियों के सेवन के साथ-साथ स्वच्छता स्नेहपूर्ण लालन पालन पर विशेष बल दिया।

इस मौके पर राजकीय बाल ग्रह की शिक्षिका सुमन, स्वस्थ केंद्र के हरीश, अनुराग, सिस्टर ऊषा उपस्थित रहीं l

(Udaipur Kiran) / मो0 महमूद

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