West Bengal

बंगाल सरकार ने ठुकराया चुनाव आयोग का आदेश, वोटर लिस्ट धांधली मामले में अफसर निलंबित पर एफआईआर से इनकार

कोलकाता, 21 अगस्त (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची में धांधली के गंभीर आरोपों के बीच राज्य सरकार ने चार अधिकारियों को निलंबित तो कर दिया है, लेकिन उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया है।

गत 16 अगस्त को दिल्ली में पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत को तलब कर चुनाव आयोग की फुल बेंच ने स्पष्ट कर दिया था कि 21 अगस्त तक इन अधिकारियों को निलंबित करने के साथ ही उनके खिलाफ एफआईआर करनी होगी। हालांकि बंगाल सरकार ने एक आदेश को तो माना लेकिन एफआईआर नहीं किया है। यह फैसला ऐसे समय लिया गया है जब चुनाव आयोग ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि संबंधित अधिकारियों पर न केवल विभागीय कार्रवाई हो, बल्कि एफआईआर भी दर्ज की जाए।

राज्य सचिवालय नवान्न सूत्रों के मुताबिक, निलंबित किए गए इन चार अधिकारियों में दक्षिण 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर जिले के दो ‘निर्वाचन रजिस्ट्रेशन अधिकारी’ (ईआरओ) और दो ‘सहायक निर्वाचन रजिस्ट्रेशन अधिकारी’ (एईआरओ) शामिल हैं। आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेजकर कार्रवाई का निर्देश दिया था। इसके तहत मुख्य सचिव ने चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेजते हुए पुष्टि की कि संबंधित अधिकारियों को सस्पेंड कर विभागीय जांच (डिपार्टमेंटल प्रोसीडिंग) शुरू की जाएगी।

हालांकि, एफआईआर दर्ज न करने का निर्णय चुनाव आयोग और राज्य सरकार के बीच एक बार फिर टकराव का संकेत दे रहा है। आयोग चाहता था कि वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने की प्रक्रिया में धांधली और अनियमितताओं के आरोपों को देखते हुए कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए, ताकि चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल न उठें। लेकिन राज्य सरकार ने फिलहाल मामले को विभागीय कार्रवाई तक सीमित कर दिया है।

राजनीतिक हलकों में इस कदम को लेकर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। विपक्ष का आरोप है कि ममता बनर्जी सरकार बार-बार चुनाव आयोग के आदेशों को ठेंगा दिखा रही है और जानबूझकर दोषी अधिकारियों को बचाने की कोशिश कर रही है। वहीं, नवान्न की ओर से कहा गया है कि विभागीय जांच पूरी होने के बाद ही आगे की कार्रवाई पर फैसला लिया जाएगा।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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