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उच्च न्यायालय ने गवाहों की हाजिरी में पुलिस की विफलता पर चिंता व्यक्त की

प्रयागराज उच्च न्यायालय का छाया चित्र

–ट्रायल कोर्ट को पूर्व आदेशों के पालन में विफलता की जांच का निर्देश

प्रयागराज, 21 अगस्त (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट के पिछले आदेशों के बावजूद गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए पुलिस द्वारा सम्मन जारी करने और बलपूर्वक उनके हाजिर होने का उपाय करने में विफलता पर गम्भीर चिंता जताई है।

आईपीसी की धारा 363, 366, 376, 384 और पॉक्सो अधिनियम की धारा 5/6 और आईटी अधिनियम की धारा 67 ए के तहत अपराधों के लिए 2022 से जेल में बंद आरोपित मुनीर की दूसरी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अजय भनोट ने कहा कि वैधानिक आदेश के बावजूद पुलिस अधिकारियों द्वारा गवाहों को मुकदमे में उपस्थित होने के लिए सम्मन भेजने या बलपूर्वक उपाय करने में विफलता के कारण होने वाली देरी गम्भीर चिंता का विषय है।

यद्यपि न्यायालय ने आरोपित की जमानत याचिका खारिज कर दी, क्योंकि उस पर नाबालिग के साथ बलात्कार का आरोप था। न्यायालय ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को उचित समय-सीमा के भीतर, वरीयता के साथ हाईकोर्ट के आदेश की प्राप्ति की तारीख से एक वर्ष के भीतर, मुकदमे को समाप्त करने का प्रयास करना चाहिए। मामला थाना चरथवाल जिला मुजफ्फरनगर का है।

ट्रायल कोर्ट को उन गवाहों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए, जो मुकदमे की कार्यवाही में उपस्थित नहीं होते हैं। न्यायालय ने कहा कि देरी मुख्य रूप से सम्मन की तामील न होने और गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित करने में पुलिस अधिकारियों द्वारा कार्रवाई न करने के कारण हुई है। भंवर सिंह उर्फ करमवीर बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और जितेंद्र बनाम उत्तर प्रदेश राज्य में हाईकोर्ट के पूर्व निर्णयों का हवाला देते हुए कार्रवाई करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि पूर्व के आदेशो जिसमें पुलिस प्राधिकारियों को समन की समय पर तामील सुनिश्चित करने और सुनवाई में उपस्थित न होने वाले गवाहों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए गए थे, न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट को उपरोक्त आदेशों के अनुपालन की जांच करने का निर्देश दिया।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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