
नई दिल्ली, 21 अगस्त (Udaipur Kiran) । दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) एकीकरण के बाद 2022-23 में आम आदमी पार्टी (आआपा) के शासनकाल में हुए आडिट में टैक्स वसूली की अनियमितताओं के कारण निगम को 312 करोड़ रुपये के राजस्व के नुकसान को लेकर चिंता जताई। उन्होंने उपराज्यपाल से 2022-2023 में एमसीडी में हुए 312 करोड़ के राजस्व नुकसान, अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की जांच उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जज से करवाने की मांग की है।
यादव ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि निगम के सात विभागों के 77 आडिट पैराग्राफ जिनमें पर्यावरण प्रबंधन सेवाएं विभाग द्वारा ठोस कचरा प्रबंधन उपनियमों के कार्यान्वन से लेकर आउटडोर विज्ञापन नीति के कम राजस्व प्राप्ति सहित वन टाइम पार्किंग शुल्क की सही वसूली न होने या इसमें भारी भ्रष्टाचार होने के कारण निगम को करोड़ों का नुकसान हुआ है। आडिट में उजागर हुआ है कि ठोस कचरा प्रबंधन उपनियमों का पालन न करने से 155.1 करोड़ रुपये, एकमुश्त पार्किंग शुल्क और रिहायशी संपनियों से व्यावसायिक में परिवर्तन करने का कन्वर्जन शुल्क न वसूलने से 9 करोड़ रुपये, आउटडोर विज्ञापन नीति में खामियों के कारण 142 करोड़ रुपये, बस क्यू शैल्टर पर विज्ञापन से ट्रांसपोर्ट कंपनी से 40.42 करोड़ कम मिलने से नुकसान, आईजीआई एयरपोर्ट पर राजस्व साझा करने की नीति के तहत विज्ञापन लगाने पर भी निगम को 81.97 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा। यही नहीं दिल्ली हर घर का कचरा उठाने पर यूजर चार्ज न वसूलने में अनियमितताएं पाई गईं। दक्षिणी जोन में यूजर चार्ज न वसूलने से 84.9 करोड़, मध्य जोन में 70.23 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
यादव ने कहा कि आआपा शासन के दौरान भ्रष्टाचार ने जहां दिल्ली सरकार में लगभग सभी विभागों के कार्यों में अनियमितताएं आडिट में पाई गईं। वहीं निगम को हजारों करोड़ के कर्ज से उबारने की जगह सैंकड़ों करोड़ का भ्रष्टाचार करके निगम को कर्ज तले दबाने का काम किया है। तीन करोड़ लाईसेंस फीस रिवाईज करने में देरी के कारण, 3.3 करोड़ दिल्ली सरकार से सेनीटेशन सर्विस के रिकवरी न करने के कारण, 2.9 करोड़ संपति कर और ब्याज जमा करने के अनुपालन में देरी के कारण, 3 करोड़ बिना अनुबंध कंक्रीट डिलीवरी के एवज में ठेकेदार को भुगतान के, 1.6 करोड़ रुपये बिना गुणवता आश्वसान के ठेकेदारों को भुगतान से नुकसान हुआ है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष यादव ने कहा कि भारी आर्थिक संकट से जूझ रहे निगम के पास पर्याप्त संसाधन होने के बावजूद सुविधाओं में सुधार होना मुश्किल हो रहा है। भाजपा और आआपा के भ्रष्टाचार के कारण दिल्ली नगर निगम खोखला हो गया है। पिछले 10-15 वर्षों से निगम का आर्थिक संकट बढ़ता ही जा रहा है और सेवानिवृत कर्मचारियों की 3500 करोड़ से अधिक की देनदारी अभी बकाया है। जीवन भर काम करने के बाद निगम कर्मचारियों को अपना पैसा न मिलने में भाजपा और आआपा का भ्रष्टाचार जिम्मेदार है।
—————
(Udaipur Kiran) / धीरेन्द्र यादव
