
रांची, 21अगस्त (Udaipur Kiran) । भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है। पत्र में कहा है कि मुझे आशंका थी कि शराब घोटाले की जांच और गिरफ्तारी केवल जनता की आंखों में धूल झोंकने, बड़े षड्यंत्रकारियों को बचाने और भयादोहन कर मोटी रकम वसूली का रास्ता निकालने का एक प्रयास है। दुर्भाग्य से यह आशंका अब सच साबित हो रही है।
जिस प्रकार आनन-फानन में एसीबी ने एक बड़े अधिकारी को पूछताछ के लिए बुलाया और तुरन्त गिरफ्तार कर लिया, उस समय दिखाई गई तत्परता अब न जाने कहां गायब हो गई है। यह बात आम जनमानस को पच नहीं रही है कि आपकी सरकार तीन महीने के भीतर एक चार्जशीट तक दाखिल नहीं कर पाई, जिसके कारण एक-एक कर जेल में बंद सारे आरोपितों को जमानत मिल रही है।
भ्रष्टाचार के ऐसे गंभीर मामलों में जांच एजेंसियां अभियुक्तों से पूछताछ करती है तो उसके पूरे बयान को बाकायदा प्रमाणस्वरूप हूबहू रिकार्डिंग करा कर सुरक्षित रखती है। खासकर बड़े अधिकारियों या दूसरे प्रभावशाली आरोपितों के मामले में तो यह किया ही जाता है।
उन्हाेंने आराेप लगाया कि, मुझे पता चला है कि एसीबी ने जिन अधिकारियों और पदाधिकारियों को गिरफ्तार कर पूछताछ किया है। उनमें से किसी के भी पूरे पूछताछ की रिकॉर्डिंग नहीं रखी गयी है ताकि जांच अधिकारी को जो मन मुताबिक लगे वही बयान दर्ज करे, जिसको चाहे उसको फंसा दें और जिसको चाहे उसको बचा ले। यह मेरे समझ से परे है कि ये सब गोरखधंधा, समय पर चार्जशीट न करने की योजना पर काम आप की सहमति से हुआ है या नहीं ? मुझे तो नहीं लगता कि इतना बड़ा गोरखधंधा और डील बिना आपकी इजाजत के करने की हिम्मत कोई अधिकारी कर सकता है?
विभागीय मंत्री और मुख्यमंत्री के नाते अगर ये सब आपकी जानकारी और सहमति से हुआ है और हो रहा है तब तो भगवान ही मालिक हैं। लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो बिना विलंब दोषी अफसरों पर कार्रवाई करें ताकि जांच की आंच देर सबेर आप तक न पहुंच जाये।
मैंने पूर्व में भी कई पत्रों के माध्यम से आपको इस तथाकथित शराब नीति की खामियों और एक बड़े घोटाले के प्रति सचेत किया था। लेकिन आपने उन पर कोई कार्रवाई करना उचित नहीं समझा। आपकी निष्क्रियता से यह स्पष्ट होता है कि यह घोटाला हुआ नहीं, बल्कि साजिशन करवाया गया जिस अपराध के लिये आप भी समान रूप से जिम्मेदार हैं।
आप खुद एसीबी के मंत्री भी हैं। कल आप फिर कहेंगे कि आपको इस मामले की कोई जानकारी नहीं थी और अधिकारियों ने आपको अंधेरे में रखा। इसलिए मैं, आपको आज ही सचेत कर रहा हूं। आप इसका संज्ञान लीजिये कि बड़े आरोपियों को बेल दिलाने के लिये जान बूझकर समय पर चार्जशीट न करने के लिये किन लोगों ने कितनी बड़ी डील की है और इस डील के लाभार्थी कौन लोग हैं?
उन्हाेंने सवाल किया कि, किस वजह से समय पर चार्जशीट नहीं कर आरोपितों को जमानत का लाभ दिलाया जा रहा है? इस साजिश में कौन-कौन लोग शामिल हैं? ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन पर कठोर कार्रवाई का आदेश बिना विलंब दीजिये।
मेरा आपसे पुनः आग्रह है कि आप इस दिखावे की जांच को बंद कर पूरे मामले की सीबीआई जांच करवाएं, ताकि वास्तविक दोषियों को पकड़ा जा सके और केस करने, पकड़ने और फिर डील कर जमानत की सुविधा प्रदान कराने वाले षड्यंत्रकारियों पर कारवाई हो सके।
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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे
