
किश्तवाड़, 20 अगस्त (Udaipur Kiran) । बादल फटने से प्रभावित किश्तवाड़ जिले के चशोती गांव में बुधवार को सातवें दिन भी लापता लोगों को ढूंढने के लिए विस्तारित तलाशी अभियान जारी रहा। इस बीच प्रधान सचिव (गृह) चंद्राकर भारती ने ज़मीनी हालात का आकलन करने के बाद विभिन्न एजेंसियों की एक बैठक की अध्यक्षता की।
यह वरिष्ठ अधिकारी उन 10 आईएएस और आईपीएस अधिकारियों में से पहले हैं जिन्हें उपराज्यपाल ने राहत और बचाव कार्यों की निगरानी के लिए आठ दिनों के लिए आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने का निर्देश दिया है।
14 अगस्त को मचैल माता मंदिर के रास्ते में पड़ने वाले आखिरी गाँव में आई प्राकृतिक आपदा में मरने वालों की संख्या 65 हो गई है जिसमें तीन सीआईएसएफ कर्मी और जम्मू-कश्मीर पुलिस का एक विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) शामिल है। 100 से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं और 39 अभी भी लापता हैं।
एसडीआरएफ के एक अधिकारी ने बताया कि सातवें दिन खोज अभियान सुबह-सुबह बारिश के साथ शुरू हुआ लेकिन बाद में धूप निकल आई और बचाव दल निर्धारित स्थानों पर उन लापता लोगों की तलाश में निकल पड़े जिनके मलबे में दबे होने या नदी में बह जाने की आशंका है।
अधिकारी ने बताया कि पिछले दो दिनों में नदी के बहाव क्षेत्र से दो शव बरामद होने के बाद मंगलवार को खोज अभियान को चशोती से गुलाबगढ़ तक पूरे 22 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में विस्तारित कर दिया गया।
बचाव दल कई स्थानों पर, खासकर लंगर (सामुदायिक रसोई) स्थल के पास मुख्य प्रभाव वाले स्थान पर, अर्थमूवर और खोजी कुत्तों सहित भारी मशीनों का उपयोग करके मलबे को छान रहे हैं।
प्रमुख सचिव चंद्राकर भारती ने बुधवार को किश्तवाड़ शहर में वरिष्ठ नागरिक, पुलिस, सेना और अर्धसैनिक अधिकारियों के साथ एक घंटे की बैठक की अध्यक्षता की और चल रहे बचाव एवं राहत अभियान पर विस्तार से चर्चा की।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा मंगलवार को जारी आदेश के बाद भारती ने घटनास्थल का दौरा किया और जमीनी स्थिति का व्यापक आकलन किया। अधिकारी ने स्थानीय निवासियों से संपर्क किया और बचाव कर्मियों तथा नागरिक प्रशासन की टीमों के साथ विस्तृत बातचीत की। साथ ही प्रभावित परिवारों की तात्कालिक आवश्यकताओं का मूल्यांकन किया ताकि राहत उपायों का समय पर वितरण सुनिश्चित किया जा सके।
प्रधान सचिव ने बचाव कार्यों को अधिकतम करने और राहत एवं पुनर्वास प्रयासों में तेजी लाने के लिए सभी संबंधित विभागों और एजेंसियों से त्वरित, समन्वित और निरंतर प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर बल दिया।
बादल फटने से आई अचानक बाढ़ ने भारी तबाही मचाई जिसने एक अस्थायी बाजार और वार्षिक मचैल माता यात्रा के लिए लंगर स्थल को तहस-नहस कर दिया, 16 घरों और सरकारी इमारतों, तीन मंदिरों, चार पनचक्कियों, एक 30 मीटर लंबे पुल के अलावा एक दर्जन से अधिक वाहनों को नुकसान पहुँचा।
पुलिस, सेना, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), सीआईएसएफ, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ), नागरिक प्रशासन और स्थानीय स्वयंसेवकों की संयुक्त टीमें बचाव कार्यों में लगी हुई हैं।
25 जुलाई से शुरू होकर 5 सितंबर को समाप्त होने वाली वार्षिक मचैल माता यात्रा बुधवार को लगातार सातवें दिन स्थगित रही। हालाँकि अधिकारी जम्मू से छड़ी लेकर आने वाले श्रद्धालुओं के एक समूह को अनुमति देंगे और उनके 21 या 22 अगस्त को मंदिर पहुँचने की उम्मीद है।
9,500 फुट ऊँचे मंदिर तक 8.5 किलोमीटर की पैदल यात्रा किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर चशोती से शुरू होती है।
(Udaipur Kiran) / बलवान सिंह
