
चित्तौड़गढ़, 20 अगस्त (Udaipur Kiran) । वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी की अध्यक्षता में वर्ष 2025-26 की नई अफीम नीति को लेकर नई दिल्ली में बुधवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी भी शामिल हुए। साथ ही उन्होंने अफीम पॉलिसी को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव दिए। इसके अलावा सुझाव को लेकर एक ज्ञापन भी सौंपा है, जिसमें पॉलिसी को किसान हितैषी बनाने की मांग की गई है। गौरतलब है कि चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र अफीम बाहुल्य है और क्षेत्र की राजनीति अफीम किसान प्रभावित भी करते हैं।
जानकारी के अनुसार नई दिल्ली में हुई बैठक में सांसद सीपी जोशी ने अफीम किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए कई ठोस सुझाव रखे। सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मजबूत नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार लगातार किसानों की आय बढ़ाने और उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए काम कर रही है। अफीम किसान हमारी अर्थव्यवस्था और परंपरा का अहम हिस्सा हैं। इसलिए अफीम नीति को भी इसी भावना से किसानों के हित में और अधिक पारदर्शी व व्यावहारिक बनाने की दिशा में लगातार काम हो रहा है। सांसद सीपी जोशी ने नई अफीम नीति को लेकर अनेक सुझाव दिए। इसमें अफीम नीति को सितम्बर माह के प्रथम सप्ताह में ही घोषित करने की मांग की, जिससे कि किसानों को खेत तैयार करने का पर्याप्त समय मिल पाए। इसके साथ लाईसेंस के लिए पात्र सभी किसानों के नाम अफीम नीति घोषित होते ही ऑनलाईन प्रदर्शित हो जानी चाहिए तथा लाईसेंस भी किसान के पास ऑनलाईन ही पहुंच जाना चाहिए। अफीम की खेती से जुड़े सभी प्रकार के कार्यो में कोई गड़बड़ी या अनियमितताएं नहीं हो इसके लिए प्रभावी मॉनिटरिंग करनी चाहिए। गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। सांसद ने सुझाव दिया कि एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/29 में आवश्यक संशोधन किया जाए, जिससे इसका दुरूपयोग ना हो पाए।
ऐसे किसान जो पूर्व के वर्षों में लाइसेंस के लिए पात्र थे लेकिन किसी कारण से लाइसेंस प्राप्त करने से वंचित रह गए थे उन्हें वर्ष 2025-26 में लाइसेंस प्रकिया में शामिल किया जाए। सांसद ने मृतक नामांतरण प्रक्रिया को और अधिक सुगम करने की आवश्यकता बताई।
अफीम लाइसेंस वितरण एवं तौल प्रकिया की तारीख को 15 दिवस पूर्व ही ऑनलाइन कर दिया जाए, जिससे किसान घर से ऑनलाइन तारीख देख सके। इससे अनियमितताओं पर अंकुश लगाया जा सके।
सभी किसानों को समान रूप से 10 आरी के लाइसेंस जारी किए जाएं।
वर्तमान समय में जब किसानों को लाइसेंस मार्फीन के आधार पर दिए जा रहे है तो ऐसी स्थिति में कच्चे तौल की अनिवार्यत निरर्थक है।
सीपीएस पद्धति अन्तर्गत फसल तैयार होने के बाद किसान स्वयं डोडा तोड़ कर मुखिया को वजन नोट करवा दें, जिससे किसान व विभाग के अधिकारीयों का समय बचेगा और अनावश्यक परेशानियों से बचा जाएगा। सांसद जोशी ने सुझाव दिया कि ऐसे सभी किसान जो एनडीपीएस प्रकरण में दोष मुक्त हो गए उन किसान भाइयों को भी लाइसेंस प्रकिया में जोडा जाए। साथ ही वर्ष 1998-99 में किसानों को नवीन लाइसेंस प्राप्त हुए थे लेकिन उक्त वर्ष 1999 में प्राकृतिक आपदा के कारण फसल उत्पादन सही नहीं हो पाया था। इससे अधिकतर किसानों के लाइसेंस रुक गए थे। ऐसे सभी किसानों को आगामी अफीम नीति में शामिल किया जावे।
सांसद सीपी जोशी ने कहा कि अफीम नीति का उद्देश्य किसानों को मजबूत करना और उनकी मेहनत का सम्मान है। इस बार की अफीम नीति में भी किसानों को न्याय, पारदर्शिता और बेहतर मूल्य की गारंटी मिलेगी।
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(Udaipur Kiran) / अखिल
