कोलकाता, 20 अगस्त (Udaipur Kiran) । साल 2013 के चर्चित सारदा चिटफंड घोटाले से जुड़े तीन मामलों में बुधवार को सारदा समूह के सर्वेसर्वा सुदीप्त सेन और उनकी सहयोगी देवयानी मुखोपाध्याय को बरी कर दिया गया। अदालत के इस फैसले ने राज्य की राजनीति और जनमानस में नई बहस छेड़ दी है।
वामपंथी विचारधारा से जुड़े अभिनेता देवदूत घोष ने सोशल मीडिया पर इस फैसले की कड़ी आलोचना की। उन्होंने लिखा,
“सारदा चिटफंड मामले में कितने एजेंटों ने आत्महत्या कर ली थी, याद है?… और आज उन दो मुख्य आरोपितों को कोर्ट से हंसते-हंसते बाहर निकलते देखा। बरी!”
देवदूत की पोस्ट पर चार घंटे के भीतर तकरीबन 52 प्रतिक्रियाएं आईं। एक यूज़र दीपक सर्वज्ञ ने लिखा, “ये दोनों तो सिर्फ़ सामने के मोहरे थे। असली मास्टरमाइंड तो आज नेता और मंत्री बनकर समाज में घूम रहे हैं।”
एक अन्य यूज़र शुभेंदु दत्ता ने टिप्पणी की, “इनके ख़िलाफ़ 250 मामले दर्ज हैं। अभी सिर्फ़ तीन मामलों में ही बरी हुए हैं। इसलिए फिलहाल रिहाई की कोई संभावना नहीं है।”
उल्लेखनीय है कि सुदीप्त सेन इस समय प्रेसिडेंसी जेल में बंद हैं, जबकि देवयानी मुखोपाध्याय दमदम जेल में हैं। दोनों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात) और 420 (धोखाधड़ी) समेत कई धाराओं में मामले दर्ज हैं। तीन मामलों में बरी होने के बावजूद दोनों को जेल से रिहाई नहीं मिलेगी क्योंकि दोनों कहीं और मामलों में आरोपित हैं।
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(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय
