Jammu & Kashmir

जम्मू-कश्मीर प्रदेश-व्यापी कौशल विकास मिशन के लिए तैयारः

जम्मू, 19 अगस्त (Udaipur Kiran) । मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने आज एक बैठक की अध्यक्षता की जिसमें जम्मू-कश्मीर में अपेक्षित कौशल विकास पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की उनकी पहल में हुई प्रगति का आकलन किया गया। इस पहल का उद्देश्य समावेशी तरीके से जनसंख्या के प्रत्येक वर्ग की क्षमताओं के अनुसार ‘सभी के लिए कौशल’ सुनिश्चित करना है।

इस बैठक में श्रम एवं रोजगार आयुक्त सचिव; कौशल विकास मिशन के प्रबंध निदेशक; बजट महानिदेशक; श्रम एवं रोजगार निदेशक और अन्य संबंधित अधिकारी शामिल थे।

विभाग की भूमिका की सराहना करते हुए, मुख्य सचिव ने कहा कि यह जानकर बहुत संतोष हुआ कि विभाग ने जुलाई माह में हितधारकों के सम्मेलन के आयोजन के बाद कम से कम समय में कौशल विकास योजना का प्रारंभिक खाका तैयार कर लिया था। उन्होंने इसे आशाजनक और आगे बढ़ने का एक निश्चित तरीका बताया। उन्होंने उन्हें इस गति को तब तक बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया जब तक कि उद्देश्य पूरे नहीं हो जाते।

उन्होंने सभी हितधारकों के साथ परामर्श करके उनकी अंतर्दृष्टि को शामिल करने हेतु रूपरेखा पर चर्चा करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने इस कौशल योजना को और अधिक सुदृढ़ और प्रभावी बनाने के लिए बहु-पक्षीय विचार-विमर्श आयोजित करने की सलाह दी ताकि इसके परिणाम प्राप्त किए जा सकें। उन्होंने इस पहल को जमीनी स्तर पर और अधिक प्रभावी बनाने के लिए स्थानीय उच्च शिक्षण संस्थानों, आईआईटी/आईआईएम जम्मू, कृषि विश्वविद्यालयों, नाबार्ड, जम्मू-कश्मीर बैंक आदि के साथ विचार-विमर्श करने का सुझाव दिया।

इस बैठक के दौरान, श्रम एवं रोजगार सचिव, कुमार राजीव रंजन ने मुख्य सचिव द्वारा पूर्व में परिकल्पित और निर्देशित केंद्र शासित प्रदेश के लिए एक सुदृढ़ कौशल योजना बनाने की दिशा में उठाए गए विभिन्न कदमों पर प्रकाश डाला।

सचिव ने आगे बताया कि हाल ही में ‘जम्मू और कश्मीर में कौशल पारिस्थितिकी तंत्र में परिवर्तन’ विषय पर दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें 7 सरकारी विभागों, 6 उद्योग भागीदारों, 4 शैक्षणिक संस्थानों और 100 से अधिक प्रतिनिधियों ने अपने बहुमूल्य सुझाव दिए, जिन्हें यहाँ एक प्रभावी रणनीति तैयार करने के लिए एक व्यापक रिपोर्ट में प्रलेखित किया गया है।

उन्होंने आगे बताया कि सम्मेलन के बाद बहु-हितधारक चर्चा हुई जिसमें आईआईटी, आईआईएम और अन्य संस्थानों ने आगे उठाए जाने वाले कदमों पर विचार-विमर्श के लिए भाग लिया। उन्होंने आगे बताया कि विभाग ने भविष्य के कदमों के कार्यान्वयन के लिए उपलब्ध साधनों और उपकरणों का विश्लेषण करने का कार्य भी शुरू कर दिया है।

इसके अलावा, यह भी पता चला कि विभाग ने अपने संस्थानों की खूबियों और कमज़ोरियों, उद्योगों की आवश्यकताओं और उनसे प्राप्त होने वाले समर्थन का आकलन करने और युवाओं की आकांक्षाओं, उनके कौशल, पाठ्यक्रमों के बारे में प्रतिक्रिया, उनकी उद्यमशीलता संबंधी रुचियों और अब तक उनके सामने आई बाधाओं के बारे में जानने के लिए सर्वेक्षण भी तैयार किए।

(Udaipur Kiran) / SONIA LALOTRA

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