
जयपुर, 19 अगस्त (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने ब्यावर की राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, देलवाडा का विलय स्थानीय स्कूल में करने के मामले में राज्य सरकार से पूछा है कि बालिका स्कूल के लिए बन रहे भवन का क्या उपयोग किया जाएगा। अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश प्रिया डामेर व अन्य छात्राओं की ओर से अपने परिजनों के जरिए दायर याचिका पर दिए।
सुनवाई के दौरान अदालती आदेश की पालना में शिक्षा विभाग के ब्यावर से जुड़े अधिकारी अदालत में पेश हुए। अदालत के पूछने पर अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि बालिका स्कूल के लिए निर्माणाधीन भवन का काम एक माह में पूरा हो जाएगा। वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने कहा कि राज्य सरकार ने बालिका स्कूल का विलय दूसरी स्कूल में कर दिया है। ऐसे में यह संभावना है कि निर्माणाधीन भवन का उपयोग किसी अन्य काम में हो। इस पर अदालत ने राज्य सरकार को एक सप्ताह में बताने को कहा है कि इस भवन का क्या उपयोग किया जाएगा।
याचिका में अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, देलवाडा की छात्राएं हैं। राज्य सरकार ने गत 16 जनवरी को आदेश जारी कर इस स्कूल को राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, देलवाडा में विलय कर दिया। बालिका स्कूल की प्रिंसिपल ने विभाग को इसका विलय निरस्त करने के लिए पत्र भी लिखा, लेकिन विभाग ने विलय निरस्त नहीं किया। याचिका में कहा गया कि यह स्कूल 1973 में प्राथमिक विद्यालय के तौर पर स्थापित हुआ था। वहीं बाद में इसे समय-समय पर क्रमोन्नत किया गया। वर्तमान में आसपास के पांच गांव की करीब तीन सौ छात्राएं यहां अध्ययन करती है। इसके अलावा यहां अलग से अन्य कोई बालिका विद्यालय भी नहीं है। विभाग की ओर से बालिका स्कूल के लिए 4.15 करोड़ की लागत से भवन भी बनाया जा रहा है। याचिका में कहा गया कि केवल उन्हीं स्कूलों का विलय हो सकता है, जिनका नामांकन शून्य या काफी कम है। ऐसे में याचिकाकर्ताओं की स्कूल का विलय उचित नहीं है। स्कूल का विलय होने से छात्राओं को लडकों के साथ पढने के लिए बाध्य होना पड रहा है और कई छात्राओं ने स्कूल छोडने का मन भी बना लिया है। ऐसे में स्कूल का विलय करने के आदेश को रद्द किया जाए।
—————
(Udaipur Kiran)
