
जम्मू, 19 अगस्त (Udaipur Kiran) । डोगरा सदर सभा की कार्यकारी समिति की एक आपात बैठक सोमवार को हुई, जिसकी अध्यक्षता ठाकुर गुलचैन सिंह चाढ़क ने की। बैठक में हाल ही में किश्तवाड़ के पाडर और कठुआ जिले में आए भीषण बादल फटने की घटनाओं पर गहरा शोक व्यक्त किया गया। सभा के सदस्यों ने मृतकों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना की। डीएसएस ने जम्मू-कश्मीर सरकार से अपील की कि पीड़ित परिवारों को हर संभव राहत और पुनर्वास प्रदान किया जाए। जिन परिवारों ने अपने घर और संपत्ति खो दी है, उन्हें उचित मुआवज़ा दिया जाए तथा जिन परिवारों के कमाने वाले सदस्य की मौत हुई है, उनके परिजनों को सरकारी नौकरी में समायोजित किया जाए।
गुलचैन सिंह चाढ़क, पूर्व मंत्री, ने सरकार को याद दिलाया कि जम्मू संभाग के कई क्षेत्र पहाड़ी कटाई के बाद नए सड़कों के निर्माण के कारण भूस्खलन के लिए अत्यधिक संवेदनशील हो गए हैं। उन्होंने उत्तराखंड की तर्ज़ पर एक विशेषज्ञ समिति गठित करने की पुरानी मांग दोहराई, जो नए सड़क मार्गों के किनारे की नाजुक पहाड़ियों का सर्वेक्षण कर सके और रामबन जैसे क्षेत्रों में स्थायी समाधान सुझा सके। उन्होंने कहा कि समय रहते मिट्टी संरक्षण, रिटेनिंग वॉल्स और वृहद स्तर पर वनीकरण जैसे उपाय किए जाने आवश्यक हैं, अन्यथा कभी भी बड़ी त्रासदी घट सकती है।
बैठक में चाढ़क ने ब्रिटेन यात्रा का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने ब्रिटिश संसद में सांसद सीमा मल्होत्रा से मुलाकात की और यूके में बसे डोगरा समुदाय से संवाद स्थापित किया। उन्होंने प्रस्ताव रखा कि डोगरा भवन में इस माह एक सर्वदलीय बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक और व्यापारी संगठनों के प्रमुख शामिल होंगे। इसमें सीमावर्ती क्षेत्रों और नालों-खड्डों के किनारे बसे लोगों की समस्याओं तथा आपदा प्रबंधन को मजबूत बनाने पर विचार-विमर्श होगा।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
