
हरदा, 19 अगस्त (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के हरदा जिले की पंचायतों के विकास पर इस समय ग्रहण लग गया है। निर्माण व विकास कार्यों को कराने के लिए विभिन्न मदों में आने वाला बजट बंद कर दिया गया है। मनरेगा, खेत सड़क सहित अन्य मदों के बजट की समस्या है। बजट नहीं होने से विकास के सारे कार्य ठप हैं, जहां एक ओर विकास नहीं होने से आमजन परेशान है। सांसद, विधायक, जिला पंचायत, जनपद निधि आदि में बजट दिया जा रहा है, किंतु पंचायत में बजट उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।
मनरेगा के तहत पंचायतों द्वारा जो काम करवाये गये हैं उसका भुगतान अभी लंबित है। मजदूर मजदूरी के लिए परेशान है। बजट नहीं मिलने से भुगतान नहीं हो पा रहा है। विकास व निर्माण कार्यों पर ग्रहण लगा हुआ है। समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है। इससे पंचायत के लोग परेशान है। सरपंच-सचिव की छवि भी धूमिल हो रही है। बजट के अभाव में काम लंबित है। बजट दिलाने की तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
मजदूरों की मजदूरी रोकने पर शासन प्रशासन द्वारा तत्काल कार्यवाही की जाती है किंतु मनरेगा के मजदूरों का भुगतान लंबित होने पर शासन प्रशासन द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है और न ही इस संबंध में कोई कार्यवाही की जा रही है।
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के पूर्व जिलाध्यक्ष रामनिवास खोरे ने मय ब्याज सहित मजदूरों की मजदूरी दिलाई जाय मजदूरी नहीं मिलने के कारण आर्थिक तंगी झेल रहे मजदूर ब्याज में कर्ज लेकर अपना काम चला रहे हैं। जबकि अधिकांश मजदूरों की मजदूरी लंबित है। इस तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जो बेहद चिंताजनक है। किसान मजदूर हित होने का दम भरने वाली भाजपा सरकार में किसान और मजदूरों का शोषण हो रहा है। मजदूरों को मजदूरी तक नहीं दी जा रही है। काम करवा लिया गया है और मजदूरी का भुगतान नहीं करके उनके हक हित पर कुठाराघात किया जा रहा है। जिसको लेकर आक्रोश का माहौल है। मय ब्याज सहित मजदूरी का भुगतान दिलाने की पहल नहीं की गई तो इसके खिलाफ आंदोलन किया जायेगा। गरीब मजदूरी करके आर्थिक तंगी झेल रहे हैं और उनका स्वयं का पैसा नहीं मिल पा रहा है। स्वीकृत कार्यों को कराने पर भुगतान रोक लेना गलत है। इसकी जांच कराकर अबिलंब भुगतान कराने की कार्यवाही की जाये।
इस संबंध में ग्राम पंचायत बड़वानी, विकास खंड़ टिमरनी के सचिव ज्ञानदेव माणिक का कहना है कि पहले जैसे मनरेगा के काम के लिए बजट नहीं आ रहे हैं सामग्री के माध्यम से जो काम कराए जाते थे वैसे काम नहीं हो रहे हैं। छोटे-मोटे काम मजदूर लगाकर कराए जा रहे हैं। मनरेगा के तहत पहले की तरह बजट नहीं मिलने के कारण कामकाज प्रभावित है।
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(Udaipur Kiran) / Pramod Somani
