
शिमला, 19 अगस्त (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को नियम 67 के तहत विपक्ष की ओर से आपदा को लेकर लाए प्रस्ताव पर चर्चा जारी रही। इस दौरान विपक्षी विधायकों ने सरकार को घेरते हुए कहा कि प्रदेश के कई हिस्सों में लोगों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है, लेकिन राहत और पुनर्वास कार्यों में अपेक्षित तेजी नहीं दिखाई जा रही।
चर्चा की शुरुआत करते हुए चंबा से कांग्रेस विधायक नीरज नैयर ने कहा कि उनके क्षेत्र में लोगों को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने चिंता जताई कि लोग स्लोप और नालों के पास घर बना रहे हैं, जिससे खतरा बढ़ गया है। नैयर ने मनरेगा के नए नियमों पर आपत्ति जताई और कहा कि अब इस योजना के तहत घरों के डंगे बनाने का काम संभव नहीं होगा क्योंकि केंद्र सरकार ने सामग्री मद को समाप्त कर दिया है। उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार इस मुद्दे को केंद्र के सामने मजबूती से रखे।
बंजार से विधायक सुरेंद्र शौरी ने कहा कि 25 जून को उनके क्षेत्र में बादल फटने से भारी तबाही हुई थी। उस समय कृषि मंत्री चंद्र कुमार और तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी क्षेत्र में मौजूद थे, लेकिन वे घटना स्थल पर नहीं पहुंचे। उन्होंने आरोप लगाया कि अब तक एक भी मंत्री उनके क्षेत्र का दौरा नहीं कर पाया है। शौरी ने कहा कि सेंज और बंजार उपमंडल की 45 पंचायतों में 21 जुलाई से अब तक एक भी बस नहीं चल रही, लोग राशन की कमी से जूझ रहे हैं और सड़कें अभी तक नहीं खुल पाई हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सेब और सब्जियां सड़क पर सड़ रही हैं तब सरकार दशहरा उत्सव को लेकर बैठकें कर रही है, लेकिन प्रभावितों की सुध नहीं ले रही।
इस पर जवाब देते हुए तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि सरकार ने पहले ही अधिसूचना जारी कर दी है कि नदी-नालों के किनारे निर्माण न किए जाएं। उन्होंने कहा कि पहले से बने निर्माणों का समाधान कैसे निकाला जाए, इस पर विधायक सुझाव दें।
नूरपुर से विधायक राकेश कालिया ने कहा कि हिमाचल में लगातार बादल फटने की घटनाएं हो रही हैं, जिन पर राज्य स्तर पर शोध करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि आपदा से निपटने के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम अनिवार्य है। कालिया ने सुझाव दिया कि राज्य में ऐसा मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाए, जो बाढ़ आने पर बह न जाए। उन्होंने चीन और यूरोप का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पर अर्ली वार्निंग सिस्टम 10 दिन पहले तक की चेतावनी देता है, हमें भी ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके क्षेत्र में भी सड़कें टूटी हैं, पुल बह गए हैं और कई मकानों में पानी घुस गया है। उन्होंने कहा कि आपदा में जिनकी जान गई है उनके परिवारों को त्वरित और पर्याप्त सहायता मिलनी चाहिए तथा जिन क्षेत्रों में अधिक नुकसान हुआ है वहां ज्यादा मदद दी जानी चाहिए।
चर्चा में विधायक राम कुमार चौधरी, सुधीर शर्मा, मोहन ब्राक्टा और लोकेन्द्र कुमार ने भी हिस्सा लिया और प्रभावित लोगों को शीघ्र राहत पहुंचाने पर बल दिया।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
