Uttar Pradesh

विकसित राष्ट्र के लिए नवीनतम शोध तकनीकों का उपयोग आवश्यक : प्रो0 अशोक सिंह

प्रो0 अशोक कुमार सिंह

–शोध किसी भी राष्ट्र की प्रगति का आधार : प्रो0 सत्यकाम –मुविवि में विकसित भारत 2047 विषय पर अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला प्रारम्भ

प्रयागराज, 19 अगस्त (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के विज्ञान विद्याशाखा, नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय एवं शुआट्स के संयुक्त तत्वावधान में ‘रिसेंट एडवांसेज इन रिसर्च टेक्निकः विकसित भारत 2047’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन मंगलवार को तिलक सभागार में किया गया।

मुख्य अतिथि प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह, पूर्व निदेशक, डी एस टी, नई दिल्ली ने कहा कि अनुसंधान तभी सार्थक है जब उसके परिणाम समाज और राष्ट्र की प्रगति में योगदान दें। भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए शोध एवं नवाचार को सामाजिक सरोकारों से जोड़ना आवश्यक है। उन्होंने डिजिटल इनोवेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सतत विकास विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने शोध रिपोर्ट तैयार करने के चरणों, संदर्भ लेखन और निष्कर्ष प्रस्तुत करने की प्रक्रिया पर विशेष बल दिया।

विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर बृजेश प्रताप सिंह, सांख्यिकी विभाग, बीएचयू वाराणसी ने कहा कि नई शोध तकनीकें केवल शिक्षा या विज्ञान तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनका प्रयोग स्वास्थ्य, पर्यावरण, कृषि और सामाजिक विकास के लिए भी होना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों और शोधार्थियों को वैश्विक शोध प्रवृत्तियों के साथ कदम मिलाने का आह्वान किया। उन्होंने शोध योजना के विभिन्न चरणों, शोध समस्या की पहचान, उद्देश्यों के निर्धारण तथा उपयुक्त सांख्यिकीय विधियों के चयन पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सही सांख्यिकीय तकनीक अपनाने से शोध निष्कर्ष अधिक विश्वसनीय और उपयोगी बनते हैं।

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि शोध किसी भी राष्ट्र की प्रगति का आधार है और भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए नवीनतम शोध तकनीकों का समुचित उपयोग अनिवार्य है।

कार्यक्रम का संचालन डॉ ज्ञान प्रकाश यादव एवं अतिथियों का स्वागत विज्ञान विद्या शाखा के निदेशक प्रोफेसर आशुतोष गुप्ता ने किया। कार्यशाला के बारे में विस्तृत जानकारी प्रोफेसर ए के मलिक तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ जी पी यादव ने किया।

कार्यशाला के तीसरे सत्र में प्रोफेसर माधवेंद्र मिश्रा, प्रबंधन अध्ययन विभाग, आईआईआईटी प्रयागराज ने शोध समस्या की पहचान, उसके विश्लेषण और समाधान की दिशा में व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाने पर बल दिया।

मुक्त विवि के मीडिया प्रभारी डॉ प्रभात चंद्र मिश्र ने बताया कि कार्यशाला में देश-विदेश के विशेषज्ञ और प्रतिभागीगण ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से जुड़े रहे। उन्होंने डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग, पर्यावरणीय अध्ययन, स्वास्थ्य विज्ञान, समाजशास्त्रीय शोध तथा अन्य आधुनिक शोध तकनीकों पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। शोधार्थियों एवं प्रतिभागियों के लिए विशेष व्यावहारिक सत्र आयोजित किए गए, जिनमें उन्हें नवीनतम सॉफ़्टवेयर और शोध उपकरणों का प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र

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