Assam

सरकार के बेदखली अभियान को उच्च न्यायालय की मान्यता: भाजपा

कमल निशान।

गुवाहाटी, 19 अगस्त (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व वाली सरकार अब तक एक लाख 30 हजार बीघा से अधिक भूमि को अवैध कब्जाधारियों से मुक्त कराने में सफल हुई है। इसके बावजूद अभी भी 29 लाख बीघा से अधिक भूमि अवैध कब्जे में है। इस बेदखली अभियान को लेकर विभिन्न विपक्षी दलों ने भाजपा पर लगातार हमला किया और इसे रोकने की साज़िश भी रची। लेकिन 18 अगस्त को गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अश्विनी कुमार और न्यायाधीश अरुण देव चौधरी की खंडपीठ ने इस अभियान को मान्यता प्रदान की।

भाजपा प्रवक्ता कल्याण गोगोई ने आज एक बयान में बताया कि 17 अगस्त को न्यायालय ने सरकार के इस अभियान पर रोक लगाई थी, लेकिन अगले ही दिन अदालत ने सरकार को सुझाव दिया कि मुक्त कराई गई भूमि पर भविष्य में कोई अवैध कब्जा न हो, इसके लिए तारबंदी की व्यवस्था की जाए। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने गोलाघाट जिले के रेंगमा वन क्षेत्र की 15,000 बीघा भूमि को मुक्त कराकर वहां बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण का निर्णय लिया है।

प्रवक्ता ने कहा कि असम के संरक्षित क्षेत्र, बाज़ार और परिवहन सहित कई क्षेत्रों में अज्ञात और बाहरी लोगों की घुसपैठ ने मूल असमिया समाज के लिए खतरा पैदा कर दिया है। कांग्रेस और वामपंथी दलों के समर्थन से बाहरी लोग असम में असमिया भाषा को अल्पसंख्यक बनाने की कोशिश कर रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने भी आशंका जताई है कि यदि यही स्थिति रही तो आने वाले 10 वर्षों में राज्य की राजनीति, कृषि और अर्थव्यवस्था पर बाहरी लोगों का वर्चस्व होगा।

मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि जब तक राज्य की पूरी भूमि को बाहरी लोगों से मुक्त नहीं कराया जाता, तब तक यह अभियान जारी रहेगा। प्रवक्ता ने बताया कि उरियाम घाट और विश्वनाथ जिले में सैकड़ों परिवारों ने सरकार के आदेश पर स्वेच्छा से कब्जाई गई भूमि खाली कर दी, जिससे यह साबित होता है कि वे लोग जानबूझकर अवैध कब्जे में थे।

उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष गौरव गोगोई बाहरी लोगों को भूमि का पट्टा और आवास प्रदान कर असम में अवैध बांग्लादेशी मुसलमानों को शरण देने का काम कर रहे हैं। भाजपा सरकार कांग्रेस की इस साज़िश को नाकाम करेगी और भूमि, रोजगार तथा व्यापार केवल असम के मूल निवासियों को ही सौंपेगी।

(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश

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