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एफआईआर में नाम नहीं, फिर भी गिरफ्तार, अब जांच अधिकारी तलब

jodhpur

जोधपुर, 18 अगस्त (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ बीकानेर पुलिस की ओर से अफीम तस्करी के मामले में चार्जशीट पेश करने पर रोक लगा दी है। पीडि़त ने पुलिस की ओर से उसकी गिरफ्तारी की कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस मुकेश राजपुरोहित की कोर्ट ने जांच अधिकारी को भी केस डायरी के साथ तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त को तय की गई है।

याचिकाकर्ता पन्नालाल के वकील दिनेश जैन ने कोर्ट में बताया कि बीकानेर के पांचू थाना क्षेत्र में अफीम तस्करी के एक मामले पुलिस ने एक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया, जो न तो मौके पर गिरफ्तार हुआ, न एफआईआर में ही नामजद था और न ही गिरफ्तार आरोपी से ही पूछताछ में उसका नाम आया था। इसके बावजूद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। याचिका के अनुसार कि 18 अप्रैल को पांचू थानाधिकारी रामकेश मीणा के नेतृत्व में भारत माला रोड के टोल प्लाजा पर पुलिस ने नाकाबंदी के दौरान एक बस से उतरे संदिग्ध व्यक्ति बडला बासनी ओसियां निवासी सुन्दरलाल पुत्र सोहनलाल माली को गिरफ्तार किया। तलाशी में उसके पास स्लेटी-काले पिटठू बैग से 874 ग्राम अफीम बरामद हुई। पुलिस कार्रवाई के दौरान सुन्दरलाल से पूछताछ में उसने साफ-साफ कहा कि उसने अफीम एकलखोरी थाना ओसियां निवासी नारू बिश्नोई से खरीदी थी। इस बयान का उल्लेख एफआईआर में भी विस्तार से किया गया है।

जिसका नाम, उसकी बजाय दूसरे को पकड़ा

मामले में सबसे बड़ा सवाल तब उठा, जब जांच के दौरान सुन्दरलाल से जिस नारू बिश्नोई नामक व्यक्ति का नाम सामने आया, उसकी बजाय पुलिस ने तिंवरी निवासी पन्नालाल को मुल्जिम बनाकर गिरफ्तार कर लिया। जबकि न तो पन्नालाल का नाम मौके से दर्ज एफआईआर में था, और न ही गिरफ्तार आरोपी सुन्दरलाल ने उसका नाम लिया था। एफआईआर की पूरी कार्यवाही सुन्दरलाल एवं नारू बिश्नोई के इर्द-गिर्द थी, लेकिन पुलिस ने पन्नालाल को आरोपी बना दिया। जिससे न तो किसी तरह की बरामदगी हुई, न कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य या बयान ही था। पन्नालाल को एक जून को गिरफ्तार किया गया, जिसे बाद में हाईकोर्ट से जमानत मिल गई।

पुलिस की कार्रवाई पर सवालिया निशान

पन्नालाल ने राजस्थान हाईकोर्ट में एफआईआर व पुलिस कार्रवाई को निरस्त करने का निवेदन किया। याचिका में तर्क दिया गया कि न तो उनका नाम एफआईआर में है, न ही सुन्दरलाल के बयान में, न उनके पास से कोई अफीम बरामद हुई, और न ही उनके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सामग्री है। पन्नालाल की उम्र साठ वर्ष है, और वह समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई केवल आशंका और अनुमान के आधार पर की गई, जिसके पीछे पुलिस की निष्पक्षता संदेह के घेरे में है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मुकेश राजपुरोहित की कोर्ट ने पुलिस को स्पष्ट निर्देश दिए कि अगली तारीख तक पन्नालाल के खिलाफ चार्जशीट दायर नहीं की जाए। साथ ही जांच अधिकारी को कोर्ट में केस डायरी के साथ मौजूद रहने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि जिससे इस पूरे प्रकरण में पुलिस जांच की गहराई और निष्पक्षता की पड़ताल हो सके।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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