
काठमांडू, 18 अगस्त (Udaipur Kiran) । पूर्व राष्ट्रपति विद्या भंडारी ने एक बार फिर से अपनी पार्टी सदस्यता को लेकर पार्टी अध्यक्ष तथा प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को चुनौती दी है। भंडारी ने स्पष्ट किया है कि किसी के कहने से उनकी पार्टी सदस्यता रद्द नहीं की जा सकती है।
विराटनगर में आयोजित एक कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति विद्या भंडारी ने सीपीएन-यूएमएल के साथ अपनी 45 साल पुराने जुड़ाव को याद करते हुए पार्टी हितों के लिए काम करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि उन्होंने यूएमएल की सदस्य के रूप में ही राष्ट्रपति का चुनाव जीता था और पद से हटने के बाद भी खुद को पार्टी कार्यकर्ता मानती रही हैं। पार्टी सदस्य और कैडर के रूप में अपनी पहचान जारी रखने के लिए उन्हें किसी की इजाजत या किसी की कृपा की आवश्यकता नहीं हैं।
राजशाही और गणतंत्र के बीच अंतर पर जोर देते हुए भंडारी ने कहा कि एक बार कार्यकाल समाप्त होने के बाद कोई भी नागरिक अपने पिछले सामाजिक या राजनीतिक जीवन में लौट सकता है। उन्होंने कहा कि राजशाही और गणतंत्र अलग हैं। कोई भी निर्वाचित व्यक्ति अपना कार्यकाल समाप्त होने के बाद अपने पिछले जीवन में लौट सकता है। अपनी पार्टी की सदस्यता को नवीनीकृत नहीं करने के पार्टी अध्यक्ष ओली के फैसले के बारे में पूछे जाने पर भंडारी ने स्पष्ट किया कि उन्हें इस मामले के बारे में औपचारिक जानकारी नहीं मिली है और वे पार्टी के आधिकारिक रुख से अनजान हैं।
पूर्व राष्ट्रपति भंडारी ने 30 जुलाई को सक्रिय राजनीति में अपनी वापसी की घोषणा की थी। इसके कुछ ही समय बाद यूएमएल की केंद्रीय समिति ने उनकी पार्टी सदस्यता रद्द करके उन्हें सक्रिय राजनीतिक भागीदारी से रोक दिया। पार्टी के फैसले के बावजूद भंडारी का कहना है कि उनका राजनीतिक अभियान नहीं रुकेगा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि उनके राष्ट्रपति कार्यकाल के बाद पार्टी के कानूनों और प्रक्रियाओं के अनुसार उनकी पार्टी की सदस्यता का औपचारिक रूप से नवीनीकरण किया गया था।
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(Udaipur Kiran) / पंकज दास
